रूपांतरण एक्सप्रेस की पहली कार्यशाला अनेकांतवाद और समस्या का समाधान पर हुई आयोजित
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में आचार्य महाश्रमण चातुर्मास तेरापंथ नगर के बाद तेरापंथ महिला मंडल भीलवाड़ा द्वारा रूपांतरण एक्सप्रेस की प्रथम कार्यशाला अनेकांतवाद सिद्धांत पर मुनि राजकुमार मुनि कुलदीप कुमार मुनि वर्धमान कुमार मुनि अनुशासन कुमार मुनि श्री राहुल कुमार के सानिध्य में सोमवार को आयोजित हुई।
परम पूजनीय आचार्य महाश्रमण जी के 2021 के चातुर्मास में महिला मंडल की हर एक बहिन के उत्साह उमंग और सक्रियता से अनेक आध्यात्मिक गतिविधियां सफलता के साथ संचालित हुई।इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुनि राजकुमार ने कहा कि जैन दर्शन का महनीय सूत्र अनेकांतवाद अर्थात आग्रह मुक्त होकर प्रत्येक वस्तु को अनेक दृष्टिकोण से देखना।एक दूसरे के विचारों का सम्मान करते हुए सामंजस्य के साथ जीवन व्यवहार में इस सूत्र को अपनानकर विनम्रता सहिष्णुता जीवन व्यवहार में रहे तो हम शांत सुखमय जीवन जी सकते है और संपन्न बनकर धर्म के उत्कृष्ट मंगल को प्राप्त कर सकते है।
मुनि कुलदीप कुमार जी ने ओजस्वी वाणी में बताया कि भगवान महावीर ने अनुभव के आधार पर अपना मौलिक चिंतन दिया कि हर वस्तु में अनेक विशेषताएं होती है। एकता में अनेकता और अनेकता में एकता लाने का सूत्र अनेकांतवाद प्राचीन भारतीय दार्शनिक व्यवस्था की अनमोल धरोहर मानी जाती है। परिवार, संस्था समाज को इस सूत्र को अपनाते हुए देखा जाए तो दिल और दिमाग तो शांत रहेगा ही सारा वातावरण भी खुशनुमा बन जाएगा।व्यक्ति को आग्रह की वृति से बचते हुए अपने जीवन व्यवहार और शैली में सापेक्षता के सूत्र का आत्मसात करते हुए अपने विकास की दिशा तय करनी चाहिए।व्यक्ति महावीर के इस सिद्धांत को सामने रखकर चलता है तो उसके अध्यात्म और व्यवहार जीवन में कोई भी समस्या नहीं आती है और उसकी आत्मा पावन पवित्र और निर्मल बनती है।
मुनि वर्धमान कुमार ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जमाने के साथ बदलते हुए अपनी सकारात्मक सोच रखना ही अनेकांतवाद है। आभामंडल को अपनी प्रशस्त सोच से उन्नत बनाते हुए जीवन विकास करना चाहिए।अनेकांतवाद केवल तत्व दर्शन ही नहीं अपितु समग्र जीवन दर्शन है। ये सिद्धांत इतना व्यापक है कि इसका पूर्ण रूप से विवेचन करना मुश्किल है।अलग अलग लोग हमे जीवन में मिल सकते है। लेकिन हमे जागरूक रहते अपना चिंतन स्वस्थ रखना है। एक दुख से अपना जीवन खराब न करके जितना सुख मिला उसी में खुश रहने का प्रयास करते हुए अपने जीवन अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए।
मुनि अनुशासन कुमार ने महावीर प्रभु को समर्पित अनेकांतवाद विषय को प्रतिपादित करती सुमधुर गीतिका का संगान किया। मुनि राहुल कुमार ने कहा कि हम अनेकांत से अपने जीवन को निर्मल गतिशील एवं उपयोगी बनाकर नए नए आयामों का उद्घाटित कर सकते है।
मुनिवृन्द द्वारा नवकार महामंत्र उच्चारण से कार्यक्रम की मंगल शुरुवाई हुई। इस दौरान मुनियों का बुधवार तक तेरापन्थ भवन नागोरी गर्दन में प्रवास रहेगा। इस दौरान मीना बाबेल रेणु चोरड़िया, मैना कांठेड सहित महिला मंडल की कई कार्यकारिणी सदस्य मौजूद रहे।