शाहपुरा में कोरोना का खौफनाक मंजर, अब तो घरों में कैद हो जाओ शाहपुरा के वाशिंदे
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) शाहपुरा नगर व ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का खौफनाक मंजर अब दिखने लगा है। ऐसा नहीं है कि यहां कोरोना बहुत ज्यादा प्रिय हो गया है बल्कि कारण यह है कि यहां के नागरिकों ने कोरोना संक्रमण की गाइड लाइन को बहुत हलके में लिया है। परिणाम यह है कि पंचायत समिति क्षेत्र में अब तक इस सप्ताह ही संक्रमण से मरने वालों की संख्या डेढ़ दर्जन पहुंच चुकी है। ऐसा खौफनाक मंजर शाहपुरा वालों ने शायद पहले नहीं देखा होगा कि अपनों के दाह संस्कार में ही परिजन शामिल नहीं हो पाये हो। यहां पहले हुए हादसों का मंजर भी देखा गया पर उस समय सहानुभूति थी अब माहौल अलग है।
शाहपुरा का प्रशासन क्या कर रहा है क्या नहीं कर रहा है। उसकी अपनी मजबूरियां है। प्रशासन को सरकार की गाइड लाइन की पालना कराने का दायित्व निभाना है। प्रशासन किसी के घर पहुंच कर हाथ जोड़ विनती नहीं कर सकता है कि आप सभी अपने घरों में रहे। शाहपुरा का मीडिया आपसे यह विनती जरूर कर सकता है कि अगर शाहपुरा को खौफनाक मंजर से बचाना है तो शाहपुरा के वाशिंदे इस बात का संकल्प ले कि हम तो घर से बाहर नहीं निकलेगें चाहे हमारी मौत घर पर ही क्यों न हो जाए। मेरा कहने का मतलब यह भी नहीं है कि मरने के लिए किसी को घर में ही रख ले पर इतना तो सब जानते है कि कोरोना का संक्रमण आने के बाद हॉस्पिटल जाने से भी क्या फायदा हो रहा है। हॉस्पिटल तभी पहुंचे जब हमें ऑक्सीजन की जरूरत हो या काम्पलीकेसी ज्यादा हो तो ही।
शाहपुरा वालों को रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगतगुरू आचार्यश्री रामदयालजी महाराज से भी प्रेरणा लेनी चाहिए कि वर्तमान हालात को देखते हुए उन्होंने स्वयं को संतो ंके साथ एक माह के लिए क्वारंटीन कर लिया है। रामद्वारा के दरवाजे सभी के लिए बंद कर दिये है। उनके पास चिकित्सकीय प्रबंध होने के बाद भी उनका कहना है कि जान बचेगी तो फिर से सबकुछ कर लिया जायेगा। उनकी इस बात को गांठ बांध ले कि हमें घर से निकलना ही नहीं है।
शाहपुरा में सप्ताह भर से देखा जा रहा है कि कुछ लोग बाइक पर ऐसे तफरी कर रहे है मानो कोरोना से उनकी बात हो गयी है कि वो तो उनको छु भी नहीं सकता। मानाकि इन युवाओं की इम्यूनिटी केपीसीटी ज्यादा होगी पर ज्यादा भी कितनी आखिर तो संक्रमण की चपेट में आना ही होगा। शाहपुरा में अभी जो मौतों का मंजर चल रहा है उसमें मरने वाले युवा ही ज्यादा है फिर किस को दोष दोगे, परिजन केवल रोने सुबकने के कुछ नहीं कर सकते है। दाह संस्कार भी कोई ओर करा कर पुण्य कमा लेगा।
प्रशासन अपना काम करें, करने दे हां कोई समस्या आ रही है तो एसडीओ कार्यालय के कंट्रोल रूम के नंबर 01484 222239 पर अपनी समस्या को अवगत कराया जा सकता है। पर समस्या यह नहीं होनी चाहिए कि मुझे सब्जी नहीं मिल रही है। मुझे फास्ट फूड खाना है। समस्या केवल हॉस्पिटल सेवाओं की होनी चाहिए। कुछ खाना है या नहीं यह कोई समस्या नहीं है। सनातन काल से व्रत उपवास भी किये जाते रहे है उसे करके भी वक्त निकाला जा सकता है।
शाहपुरा के वाशिंदे केवल यह ठान ले कि हमको तो आगामी 21 दिन तक अपने घर से बाहर ही नहीं निकलना है। हमको तो हमारे परिवार को बचाना है। पड़ौसी निकल रहा है तो निकलने दे। पडौसी का दंड पडौसी सहन करेगा हम नहीं। हम हमारा फर्ज निभावें। शाहपुरा में फर्ज निभाने की मर्यादा रही है। यहां फर्ज निभाने के लिए कई बलिदान हुए है उनसे सीख लेकर कुछ करें। केवल यह कहने से काम नहीं चलने वाला कि प्रशासन तो अनावश्यक रोक रहा है। प्रशासन तो उसके चालान बनाता है, उसके नहीं बना रहा है। उस मोहल्ले में तो बेरिकेटिंग लगा दी है उसमें क्यों नहीं लगायी। बेरिकेंटिग वहां लग रही है जहां पॉजिटिव केस ज्यादा आ रहे है। आप अपने मोहल्ले में ऐसा काम करों, घरों में रहो तो केस कम आयेगें तो बेरिकेंटिग लगानी ही नहीं पड़ेगी।
शाहपुरा में गली गली में जनप्रतिनिधियों की फौज है। पालिका के पार्षद-चेयरमेन है। पार्षद प्रत्याशी है। पंचायत समिति जिला परिषद सदस्य है। सरपंच है। विधायक है, विधायक प्रतिनिधि है। कांग्रेस भाजपा के पदाधिकारी है। इनकी ही इतनी लंबी चौड़ी फौज है कि अगर ये जनप्रतिनिधि ही अपने अपने इलाकों में लोगों को समझाईश कर ले कि नहीं कुछ नहीं घरों में ही रहना होगा, किसी को कुछ काम है कुछ लाना है तो आपका जनप्रतिनिधि तैयार है। केवल जनप्रतिनिधि ही ऐसी विषम परिस्थिति में माहौल को नियंत्रित कर सकता है। क्षेत्र के सभी लोगों का काम जनप्रतिनिधि के सहारे हो जायेगा तो बाहर कोई नहीं निकलेगा परंतु इसके लिए जनप्रतिनिधियों को राजनीति से उपर उठकर अपने क्षेत्र के लोगों की जान बचाने के लिए आगे आना चाहिए। शाहपुरा में अभी यह नहीं हो रहा है केवल कुछ जनप्रतिनिधि केवल सेनेटाईजेशन का कार्य दिखावे के तौर पर केवल फोटो खिंचवाने के लिए कर रहे है। जनप्रतिनिधियों को यह ठान लेना चाहिए कि हमारी जनता के लिए हमको काम करना है, काम होगा तो मीडिया आपको वैसे सरताज बना देगा। हां जनप्रतिनिधि अपने किये गये कार्यो का बखान मीडिया को जरूर बतावे तो मौका आते ही उनको प्रचारित किया जा सकेगा।
कोरोना गाइड लाइन की पालना करानी है यह प्रशासन का दायित्व है। सख्ती भी जरूरी है। पुलिसिंग भी जरूरी है। परंतु कोरोना संक्रमण के इस नकारात्मकता के माहौल में प्रशासन कुछ सकारात्मक पहलुओं पर भी काम करना चाहिए। प्रशासन के आला अधिकारियों को एक टीम बनाकर ऐसे ऐसे मौहल्लों में पहुंच कर प्यार मोहब्बत से समझाईश करनी चाहिए, साथ में जनप्रतिनिधियों व मौहल्ले के मोतबीर लोगों को भी लेवें। संख्या प्रशासन तय करे। इसके सार्थक परिणाम आयेगें। धर्म गुरूओं के संदेश को अधिकाधिक प्रचारित करने का दायित्व भी प्रशासन का है। आजकल सोशल मीडिया का दौर है शाहपुरा के प्रशासन को सोशल मीडिया पर आकर अपनी व शहर की हकीकत को बयां करना चाहिए। शहरवासियों को पता नहीं है कि सेटेलाइट हॉस्पिटल में अभी क्या चल रहा है। क्या शाहपुरा में कोविड हॉस्पिटल चल रहा है। पंचायत मुख्यालयों पर कोविड केयर सेंटर चल रहे है। ये सब केवल आदेशों में ही है। चल भी रहे है पर प्रशासन अब तक इनकी सूचना क्यों नहीं सार्वजनिक कर रहा है। अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा है या नहीं। किसको दंडित किया गया। क्या ऐसे माहौल में सब कुछ प्रशासनिक स्तर पर सही चल रहा है। कुछ अघिकारी व कार्मिक जान पर खेल कर कोरोना संक्रमण में 24 घंटे काम कर रहे है उनको प्रोत्साहित करने का काम भी प्रशासन को करना चाहिए। ये सब बाते जनता के ध्यान में नहीं लायी जायेगी तो प्रशासन के खिलाफ गुस्सा बढ़ना स्वभाविक है। शाहपुरा में अभी एसडीएम के रूप् में आईएएस डा. शिल्पा सिंह है। उपाधीक्षक के रूप में प्रियंका कुमावत है। तहसीलदार के रूप में इन्द्रजीतसिंह फोज के मैनजमेंट को जानने वाले है। एएसपी के रूप विमलसिंह कुशल अधिकारी के रूप में है। सबकी सामुहिक सहभागिता से कोर कमेटी बनाकर कार्य योजना जनता के सम्मुख क्रियान्विति हो तो जनता को राहत मिल सकती है। मीडिया की मांग करने पर प्रशासन को भी प्रतिदिन तथ्यात्मक जानकारी देनी चाहिए।
शाहपुरा के हालात अब किसी से छिपे नहीं है। यहां की मीडिया जनता को नकारात्मकता से बाहर निकाल कर सकारात्मकता की ओर ले जा सकती है। मीडिया की वर्तमान दौर में जो भूमिका होनी चाहिए वो जनता में दिखनी चाहिए। में यह नहीं कह रहा हूं कि जनता के दुख दर्द को या प्रशासन की खामियों के बारे में न लिखा जाए। शाहपुरा में मंगलवार को कोरोना से चार जनों की मौत की खबर को मीडिया ने क्यों छिपाया। यह भी सही है कि प्रशासन उसकी तस्दीक नहीं कर रहा है परंतु सर्वविदित है कि चारों का दाह संस्कार कोरोना गाइड लाइन से किया गया फिर इसे क्यों छिपाना। जनता को यह नहीं दिखेगा तो भय भी नहीं होगा। केवल वाट्सएप पर चटखारों के समाचारों से जनता को भला नहीं होने वाला। सच्चे मीडिया कर्मी का धर्म होना चाहिए कि वास्तविकता के साथ समाज को सकारात्मक संदेश दे जिससे कोरोना संक्रमण से बनने वाली विषम परिस्थितियों से जनता को बचाया जा सके। यहां मीडिया की मांग करने पर प्रशासन को भी प्रतिदिन तथ्यात्मक जानकारी देनी चाहिए जो कि उनका दायित्व बनता है।