15 दिवस में अशोक गहलोत निर्णायक बैठक कर ब्रज के दोनों पर्वतों को खनन मुक्त करने का मार्ग करें प्रशस्त अन्यथा होगा विशाल आमरण अनशन
संत पंचायत में हुआ आदिबद्री व कनकांचल को अविलंब खनन मुक्त कराने का शंखनाद
एक सौ गांवो के सक्रिय कार्यकर्ताओं ने ब्रज संस्कृति व ब्रज के पर्वतों के संरक्षण के लिए सर्वस्व त्याग की ली शपथ
ब्रज के दोनों पर्वतों के रक्षण के लिए संघर्ष करना कृष्ण की सच्ची आराधना से भी बढ़कर - मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज
ड़ीग (भरतपुर, राजस्थान/ पदम जैन) कनकांचल व आदिबद्री पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में जारी धरने के 234 वे दिन सोमवार को ड़ीग के गांव पसोपा में धरना स्थल पर विराट संत पंचायत व कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें करीब 100 से अधिक गांवों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा ब्रज के प्रमुख मुर्धन्य संतो ने सम्मिलित होकर अपना आशीर्वाद प्रदान किया ।
संत पंचायत की अध्यक्षता करते हुए मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज ने उपस्थित विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि आदिबद्री व कनकांचल पर्वत सिर्फ ब्रज के हैं नहीं पूरे विश्व की निधि हैं। जो साधु संतों के लिए प्राणों से भी अधिक प्रिय हैं। उनका संरक्षण व संवर्धन भगवान श्री कृष्ण की आराधना से भी बड़ी आराधना है। उन्होंने कहा हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि सरकार को सद्बुद्धि आए और वह अविलंब साधु संतों की अपील को स्वीकार करते हुए ब्रज के दोनों आराध्य पर्वत कनकांचल व आदिबद्री को खनन मुक्त करके संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करें । उन्होंने कहा कि बड़ा खेद का विषय है कि पिछले 234 दिनों से साधु-संत व ब्रजवासी अपने ब्रज की पौराणिक संपदा व पर्वतों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसके बाद भी शासन प्रशासन हमारी बात नहीं सुन रहा है। उन्होंने राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी से दूरभाष पर वार्ता करते हुए अपील की है कि वे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से संपूर्ण भारतवर्ष के साधु संतों की दोनों पर्वतों के रक्षण की मांग को तत्काल स्वीकार करवाएं एवं ब्रज संस्कृति, ब्रज के पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए इस कार्य को संपादित करें। इस पर महेश जोशी ने उन्हें पूर्ण आश्वस्त किया है कि वह मुख्यमंत्री से अतिशीघ्र बात करके और दोनों पर्वतों को खनन मुक्त करवाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे ।
ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा महाराज ने भी इस संत पंचायत व सक्रिय कार्यकर्ता सम्मेलन में सम्मिलित होकर उपस्थित ब्रजवासियों साधु-संतों सक्रिय कार्यकर्ताओं एवं आंदोलनकारियों के समुदाय को स्पष्ट संदेश दिया कि पर्वतों के संघर्ष में धर्म की विजय अवश्य होगी । उन्होंने कहा कि विगत 60 से अधिक वर्षों से वह प्रयास कर रहे हैं कि ब्रज की संस्कृति, ब्रज का प्राकृतिक सौंदर्य, पौराणिक संपदा सुरक्षित रहे एवं उसका संवर्धन हो। जिसमें अधिकतर संकल्पों में भगवत कृपा से उनको पूर्ण सफलता मिली है। इसलिए उन्होंने विश्वास जताया कि इस बार भी निश्चित रूप से दोनों पर्वतों के रक्षण के आंदोलन में ब्रजवासियों को व साधु-संतों को सफलता प्राप्त होगी । उन्होंने यह भी कहा कि जो सरकार धर्म के मार्ग पर नहीं चलती है उसका शीघ्र पतन हो जाता है। इसलिए राजस्थान की सरकार को धर्म के मार्ग का अनुसरण करते हुए ब्रज के दोनों पर्वतों को अविलंब खनन मुक्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी तो एक ही सरकार है, राधा रानी सरकार जिसके के दरबार में हम ब्रज की संस्कृति, पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के लिए नित्य प्रार्थना करते हैं । पंचायत व कार्यकर्ता सम्मेलन को कई जनप्रतिनिधियों प्रबुद्ध व्यक्तियों ने संबोधित किया। जिसमें मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के विपक्ष पृर्व नेता व पूर्व विधायक प्रदीप माथुर, गो संत गोपेश बाबा, यमुना मिशन के निदेशक प्रदीप बंसल, महंत शिवराम दास, पूर्व विधायक गोपी गुर्जर व सैकड़ों गांवों के ग्राम सचिव, सक्रिय सदस्यता अभियान के संयोजक ब्रजकिशोर बाबा, संरक्षण समिति के संरक्षक राधा कांत शास्त्री शामिल थे। उत्तर प्रदेश के विपक्ष के पृर्व नेता प्रदीप माथुर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस गंभीर विषय को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री से उनकी कई बार वार्ता हो चुकी है और उन्होंने दोनों पर्वतों के संरक्षण का पूर्ण आश्वासन भी दिया है। लेकिन किन्हीं अपरिहार्य व राजनीतिक कारणों के चलते अभी तक यह कार्य नहीं हो पाया है । उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय को पूर्ण विश्वास दिलाया कि वे राजस्थान सरकार के सभी मंत्रियों, कांग्रेस के राष्ट्रीय वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव बनाकर दोनों पर्वतों को अतिशीघ्र संरक्षित कराने का पूर्ण प्रयास करेंगे । वही सोमवार को सक्रिय सदस्यता अभियान के तहत आयोजित सक्रिय कार्यकर्ता सम्मेलन में 100 से अधिक गांव के ग्राम सचिव व प्रतिनिधि ने भाग लिया। जिनको संतो के समक्ष ब्रज के संरक्षण व संवर्धन की शपथ दिलाई गई और साथ ही उनके प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञों व संतों महात्माओं का उद्बोधन कराया गया। इस अवसर पर सक्रिय सदस्यता अभियान के संयोजक ब्रजकिशोर बाबा ने उपस्थित सभी ग्राम सचिवों को स्पष्ट संदेश दिया की ब्रज के दोनों राज्य पर्वतों का संरक्षण तो करना ही है लेकिन इसके पश्चात ब्रजभूमि , ब्रज के पर्यावरण और प्रकृति के सर्वांगीण विकास की लड़ाई लंबी है। जिसके लिए हम सबको सर्वदा तत्पर रहना होगा। इस अवसर पर हजारों ग्राम वासियों, साधु संतों, सक्रिय कार्यकर्ताओं एवं आंदोलनकारियों के अलावा प्रमुख रूप से मुकेश शर्मा, साध्वी गोरी, साध्वी श्रीजी, साध्वी प्रतीक्षा, नरसिंह दास बाबा, ब्रजदास बाबा, महावीर पहलवान, चन्नी भगत, भूरा बाबा, हरि बोल बाबा आदि मोजूद थे। सोमवार को 26 वे दिन भी आंदोलनकारियों का क्रमिक अनशन जारी रहा । सोमवार को विजय भण्डारी बाबा, हनुमान बाबा, अजय दास, दीन दयाल दास व नारायण दास क्रमिक अनशन पर बैठे।