अरावली की तलहटी में बसा रमणीय पीरसंज्यानाथ गौशाला

Mar 31, 2024 - 15:47
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अरावली की तलहटी में बसा रमणीय पीरसंज्यानाथ गौशाला


 धामेंडा धाम लोगों की आस्था, गौसेवक व पर्यावरणप्रेमियों का आकर्षण स्थान

नारायणपुर (भारत कुमार शर्मा)

नारायणपुर  उपखण्ड के अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसा बाबा पीरसंज्यानाथजी महाराज की तपोस्थली धामेड़ा धाम लोगों के आकर्षण का केंद्र है। पीरसंज्यानाथ महाराज ने सम्वत 1212 में धामेंडा धाम से पूर्व दिशा में झोली फेंकी थी जो गोमती नदी के किनारे पर खेजड़ी के पेड़ पर जाकर टक गई थी। वहीं पर आकर महाराज ने अपना धूणा स्थापित किया और नारायणपुर के नाम से नगर बसाया, जो आज उपखण्ड़ क्षेत्र में स्थापित होकर निरंतर विकास की ओर बढ़ रहा है। आज भी प्राचीन मान्यता के अनुसार वालक्षेत्र में तीन मंजिल मकान बनाने, मसंद लगाने तथा गन्ना, बाढ़ व तंबाकू बोने पर पाबंदी लगाई गई है। धामेडा धाम मन्दिर में आसपास के क्षेत्र के लोग आकर अपना माथा टेककर अमन, चैन और खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं।

धामेड़ा धाम के ऐतिहासिक कार्य

धामेंडा धाम में मुख्य धूणे से लेकर पीरसंज्यानाथजी महाराज आसण धाम नारायणपुर जो 3 किलोमीटर की दूरी में धरती के नीचे से सुरंग स्थित है। जहां से पूर्व संत नीचे से आते जाते थे तथा धामेडा धाम से आसण धाम में एक साथ सुबह और शाम आरती होती थी। यह गुफा बाबा भृर्तहरी धाम व गुरु गौरखनाथ धाम से जुड़ी हुई मानी जाती है। पीर संज्यानाथजी महाराज ने आसण धाम में जीवित समाधि ली थी इसके उपरांत 19 संत महात्मा समा चुके हैं। वर्तमान में महंत विवेकनाथ महाराज 21वें उत्तराधिकारी के रूप में है। अरावली पर्वतमाला की धामेडा धाम की चोटी की ऊंचाई 770 मीटर स्थित है। जहां पर महंत पीर शिवनाथ महाराज ने सन 2013 में गौमाता एवं नंदी के संरक्षण हेतु पीरसंज्यानाथ महाराज गौशाला का निर्माण करके उनको सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किया गया। आज वर्तमान समय में 850 से अधिक नंदी एवं गौमाताओं का भरण पोषण हो रहा है। अरावली पर्वतमाला की चोटी पर स्थित यह पहली गौशाला है। जहां पर भामाशाहों के सहयोग से टीनसेड का निर्माण करके संपूर्ण समुचित व्यवस्था की गई है तथा पानी की भी उत्तम व्यवस्था, पानी की टंकियां एवं कुंडे बनाए गए हैं। वहीं पुरानी गौशाला में स्थित गौशाला का जीर्णोद्वार कार्य सुव्यस्थित किया गया है। वहीं गौ सेवक एवं भामाशाह राकेश यादव के द्वारा लाखों रुपए की लागत खर्च करके 300 फीट लंबाई एवं 250 फीट चौड़ाई गौशाला व चारा गोदाम तथा लगभग डेढ़ लाख लीटर पानी की क्षमता की टंकी का निर्माण करवाया गया है। जहां पर वर्तमान में कार्य सुचारू रूप से निर्माणाधीन है।

पर्यावरण संरक्षण, ऑक्सीजन बैक टू होम

धामेड़ा धाम अरावली की वादियों में स्थित होने के साथ-साथ यहां पहाड़ी भूमि एवं उबड खाबड भूमि है। जहां पर विभिन्न जंगली पौधों की भरमार तो है ही लेकिन साथ में पर्यावरण प्रेमियों ने एक नया बीड़ा उठाया है। इस क्षेत्र को हरा भरा और खुशहाल बनाने के लिए तथा ऑक्सीजन बैक टू होम के सपने को साकार करने के लिए श्रीकृष्णा शिक्षा एवं ग्रामीण विकास समिति सचिव सुनील कुमार शर्मा के नेतृत्व में पर्यावरण बचाओ पेड़ पौधे लगाओ अभियान के तहत जन सहयोग एवं पर्यावरण प्रेमियों के सहयोग से लगभग 2000 बरगद, पीपल, गूलर, बीलपत्र, शीशम, जामून सहित विभिन्न छायादार एवं फलदार पौधे लगाकर निरंतर देखरेख एवं संरक्षण किया जा रहा है। आगामी समय में यह क्षेत्र निश्चित रूप से हरा-भरा एवं खुशहाल होने के कगार पर पहुंच चुका है। वही बिलायती टिकरो को हटवाकर उनकी जगह छायादार एवं फलदार पौधे लगाने तथा पशुओं के लिए चारा घास उगाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं।

तालाब व जोहड़ आकर्षण का केंद्र

 अरावली पर्वतमाला की चोटी पर स्थित पीरशिवनाथजी महाराज के द्वारा दो जोहडो का निर्माण करवाया गया है, जिसमें बरसात के मौसम में पानी भर जाता है तथा यह पानी गर्मियों तक वहां पर विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों के लिए पेयजल के रूप में उपलब्ध हो पता है। इस क्षेत्र में पालतू एवं वन्य प्राणी स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं तथा विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षी दाना चुगने के लिए आते हैं। पक्षियों का कलरव मन को मोहने वाला एवं आनंद की अनुभूति करता है। ऊपरी गौशाला में रहने वाली गायों एवं नंदियों के लिए पर्याप्त रूप से पीने के लिए पानी की व्यवस्था होती है। पहाड़ की तलहटी में स्थित पुरानी गौशाला के पास दो जोहड़ों, तालाब का निर्माण किया गया है। पीली जोहड जिसमें वर्षभर पीले रंग का पानी रहता है। कभी भी इस जोड़ी में पानी नहीं सूखता है। पीले रंग के पानी विभिन्न प्रकार के पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है। वर्तमान में इस जोहड़ी को बाबा पीरसंज्यानाथ अमृत सरोवर के नाम से जाना जाता है।

धामेडा धाम के समीप ऐतिहासिक स्थल

 धामेड़ा धाम के पास प्राचीन कुलकुंड धाम है। जहां पर ठंडे जल कुंड स्थित थे। कुलकुंड आज भी विभिन्न प्रकार के पर्यटको तथा धार्मिक आस्था वाले लोगों का आकर्षण केंद्र है। यहां के प्राचीन खंडहर महल, जलकुंड, बालाजी महाराज का मंदिर, शिव मंदिर, पंचपीर की दरगाह आदि लोगों को आकर्षित करते हैं।

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