गर्मी एवं लू के कारण पशुधन को होने वाली बीमारी के सम्बन्ध में एडवाइजरी

Apr 29, 2024 - 17:10
Apr 29, 2024 - 19:04
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गर्मी एवं लू के कारण पशुधन को होने वाली बीमारी के सम्बन्ध में एडवाइजरी

भरतपुर, 29 अप्रैल। जिले में गर्मी के मौसम को मद्देनजर रखते हुए पशुधन को लू-तापघात से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाने एवं वातावरण में हो रहे उतार-चढाव से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से संक्रमण रोग की संभावना से बचाव के लिए पशुपालन विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। 

 पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. खुशीराम मीना ने बताया कि जिले में आगामी माहों में गर्मी तथा तापघात का प्रभाव तीव्र होने तथा वातावरण के तापघात में निरन्तर बढोतरी के साथ-साथ लू के कारण पशुधन की उत्पादन क्षमता प्रभावित हो सकती है। जिसके कारण डीहाइड्रेशन, तापाधात, बुखार, दस्त एवं गर्भापात इत्यादि से पशुधन हानि की संभावना है। उन्होंने बताया कि असामयिक वर्षा एवं ओलावृष्टि के कारण वातावरण में आ रहे उतार-चढाव के कारण पशुओं की रोगप्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होने से विभिन्न संक्रमण रोग होने की भी संभावना है। उन्होंने पशुपालकों को सलाह दी है कि प्राकृतिक परिवर्तनों के प्रभाव से पशुधन को स्वस्थ रखने हेतु पशुओं के रखरखाव, पोषण एवं स्वास्थ्य रक्षा के लिए सावधानियां बरतते हुए पोषणयुक्त आहार एवं गर्मी से बचाव के लिए उपाय करें। उन्होंने विभाग के समस्त फील्ड स्टॉफ को पशुओं में मौसम के मद्देनजर होने वाले रोगों से बचाने के सम्बन्ध में पशुपालकों को जानकारी देकर आवश्यकता पड़ने पर पशुओं को समय पर उपचार प्रदान करने के निर्देश दिए।

संयुक्त निदेशक डॉ. मीना ने बताया कि पशुओं को प्रातः 9 बजे से सांय 6 बजे तक छायादार स्थान पर पेडों के नीचे अथवा पशुबाडों मेें रखा जाये। पशुवाडों में हवा का पर्याप्त प्रवाह हो तथा विचरण हेतु पर्याप्त स्थान की उपलब्धता हो। अत्यधिक गर्मी की स्थिति में विशेषकर संकर जाति के एवं उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वालें पशुओं के बाडों के दरवाजों-खिडकियों पर पाल या टाटी लगाकर दोपहर के समय पानी का छिडकाव कराने से राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि भैंस वंशीय पशुओं को शाम के समय नहलाना लाभदायक होता है। पशुओं को दिन में कम से कम चार बार ठण्डा, शुद्ध एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि सूखे चारे के साथ-साथ कुछ मात्रा हरे चारे की भी दी जानी चाहिये ताकि पशुओं में कब्जी अथवा पाचन सम्बन्धी व्याधियां उत्पन्न नहीं हो। उन्होंने भार वाहक पशुओं को यथा सम्भव प्रातः एवं सांय काल में काम में लिया जाने तथा दोपहर के समय इन्हे आराम दिलाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि पशुओं में तापघात की स्थिति होने पर तत्काल उन्हे छायादार स्थान पर ले जाकर पूरे शरीर पर पानी डाला जाये, सिर पर ठण्डे पानी से भीगा कपडा बारी-बारी से रखा जावे तथा यथाशीघ्र पशु चिकित्सक से उपचार कराना चाहिये। उन्होंने पशुपालकों को आह्नवान किया है कि पशु चारा खाना बन्द करे, सुस्त अथवा बीमार दिखायी देवे तो बिना देरी किये निकतम पशु चिकित्सालय से सम्पर्क स्थापित कर परामर्श एवं पर्याप्त उपचार प्राप्त करें।

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