42 वर्ष पूर्व उधोग-धंधा स्थापित करने को भूमि का हुआ आवंटन:आवटियो ने भूमि का करवा दिया उप विभाजन ,नगरपालिका मौन
तखतगढ नगर के मुख्य चौराह पर बेशकीमती जमीन पर बढा लालच, आंवटियो ने करवा दिया उप विभाजन, पालिका ने ताक पर रखे शासन के नियम-कायदे, अनुचित फायदा पहुचाने के लिए पट्टे बनाने की फिराक में..........
तखतगढ (बरकत खान)
सुमेरपुर विधानसभा के दूसरे बडे कस्बे तखतगढ के मुख्य जालोर चौराह नेशनल हाइवे 325 के पास आई बेशकीमती जमीन नाप 255×210 वर्गफुट भूमि जो कि करीबन 42 वर्ष पूर्व आविष्कारो के जनक विश्व विख्यात वैज्ञानिक पी.एल मिस्त्री जिन्होने 52 के लगभग छोटे-बडे आविष्कार कर वैज्ञानिक जगत में हलचल मचा दी थी। उसी से प्रेरित होकर तखतगढ नगरपालिका ने बोर्ड बैठक में वर्ष 1986 में मिसल संख्या 2186 राजकीय भूमि आवंटन भूमि एफ 5 (272) स्थानीय निकाय 76/866 दिनांक 26/01/1982 सर्टिफिकेट भूमि आवंटन बाजार दर 15 रुपये 60 पैसा की दर से राजस्थान सरकार ( स्वायत शासन विभाग ) के आदेश पर स्वीकृति प्रदान की थी।
आंवटित भूमि का विवरण
1 उत्तर में राजस्थान राज्य विद्युत विभाग सब स्टेशन
2 दक्षिण दिशा में फालना रोड एवम् संजय पार्क ( वन विभाग)
3 पूर्व दिशा में सडक
4 पश्चिम में तखतगढ मुख्य मार्ग एवम् संजय पार्क ( वन विभाग)
यह भूखण्ड राजकीय नियमानुसार उच्च कोटि के वैज्ञानिक होने के नाते पी.एल. मिस्त्री नामक संस्थान को रियायती दर में आवंटन किया गया था। जिसमें नगरपालिका अधिनियम 1974 की धारा 19 की पालनार्थ आंवटी से यह शर्त रखी गई थी कि आवंटन की तिथि के 2 वर्ष के भीतर-भीतर जिस उद्देश्य के लिए भूमि का अंतरण किया है उसकी प्रतिपूर्ति होनी चाहिए। यदि आंवटित भूमि के आंवटियो द्वारा राजस्थान नगरपालिका भूमि निष्पादन अधिनियम 1974 की धारा 19 का उल्लंघन करते है, तो आंवटित भूमि संम्बधित निकाय को पूनः प्रतिवर्तित हो जायेगी। ऐसी किसी भी भूमि का वाणिज्यक उपयोगार्थ वर्जित है।
तखतगढ नगर के मुख्य चौराहे पर करोडो रुपयो की भूमि करीबन 42 वर्षो पूर्व पी.एल.मिस्त्री इनवेन्सन रिसर्च एण्ड डवलपमेंट सोसाइटी को आवटित हुई थी, जिसने आज दिन तक ना तो कोई उधोग-धंधा स्थापित किया है, ना ही किसी को किसी तरह का कोई रोजगारपरक कार्य किया है।
पी.एल. मिस्त्री एण्ड सोसाइटी के सम्पुर्ण परिवार ने पिछले लम्बे समय से पालिका प्रशासन और राज्य सरकार को गुमराह कर उक्त आवंटन भूमि को ही खुर्द-बुर्द कर पारिवारिक बंटवारे में अलग-अलग प्लांट बनाकर पट्टे बनाने के लिए पत्रावलियाँ पेश कर रखी है, जो बार बार अलग-अलग शासन में अलग-अलग पार्टियो के नेताओ से पालिका से पट्टे बनवाने के लिए दबाव डलवाते है। पालिका प्रशासन ने इस मामले को वर्ष 2004 तक तत्कालीन पालिका अध्यक्ष जयन्ती जैनम व कंचन जैनम ने बोर्ड बैठक में भूमि अधिग्रहण के लिए प्रस्ताव लिए लेकिन बोर्ड का कोरम पुरा नही होने या अन्य कारणो से आंवटित भूमि का अधिग्रहण नही कर सके।
तत्पश्चात के वर्ष 2004 के बाद नये बोर्ड के गठन पश्चात यह मामला ठंडे बस्ते में पडा रहा। लेकिन पूर्व पालिका अध्यक्ष जयन्ति जैनम ने लगातार पिछले 20 वर्षो से उक्त भूमि को पूनः पालिका को हस्तांतरित करवाने के लिए अपने प्रयास नही छोडे। यदि यह भूमि पालिका के पक्ष में पूनः प्रतिवर्तित होती है तो वर्तमान बाजार दर के हिसाब से पालिका को लगभग 15 करोड से ज्यादा की भूमि वापस मिल सकेगी। लेकिन वर्तमान पालिका बोर्ड की उदासीनता के आगे ऐसा होना असंभव सा लगता है।