जैन धर्म का पर्वराज कहा जाने वाला भाद्रपद माह आज से शुरू
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) कमलेश जैन
जैन धर्म में पर्वराज कहा जाने वाला भाद्रपद माह आज सोमवार से शुरू हो गया है।इस माह का जैन धर्म में विशेष महत्व माना गया है। जैन धर्म में नियम संयम का पालन विशेष रूप से इस माह में किया जाता है। भाद्रपद मास में दिगंबर जैन समाज 14 सिंतबर से 23 सितंबर तक दसलक्षण पर्व मनाएगा।
जैन धर्म में इस माह में व्रत व उपवास अधिक होने के कारण भाद्रपद माह को जैन धर्म में पर्वराज भी कहा जाता है।पर्युषण में परि का अर्थ है चारों ओर से वहीं, उषण का अर्थ होता है धर्म की अराधना। पर्युषण का अर्थ हुआ चारों ओर से धर्म की अराधना।
इन दिनों में जैन धर्मावलंबी एकासन 32 दिवस के तथा 16 दिवस के उपवास रखते हैं। इसके अलावा भाद्रपद शुक्ला पंचमी से चर्तुदशी यानि माह के अंतिम 10 दिनों में दशलक्षण महापर्व मनाते है। इस माह मे उत्तम क्षमा, मार्दव, आजर्व, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, अंकिचन व ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है। ये दशलक्षण धर्म के 10 नियम है जिनका जीवन में अमल करने पर सच्चे धर्म की प्राप्ति होती है। सामान्य श्रावक जो इन दिनों उपवास नहीं कर सकते हैं। वे जमीकंद का त्याग रात्रि भोजन का त्याग आदि करते हैं । त्याग कर अपनी आत्मशुद्धि का प्रयास करते हैं। यह महिना आत्म शुद्धि व धर्मधारण भावनाओं का चिंतन कर आत्मा से परमात्मा बनने का सुअवसर प्रदान करने वाला कहा जाता है।
जैन मंदिरों में इस माह होंगे विशेष आयोजन इस महीने में आने वाले सभी पर्व पर दसलक्षण पर्व पर जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना विधान आदि धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।