पर्यूषण महापर्व के तीसरे दिन दिगंबर जैन मंदिर में उत्तम आर्जव धर्म की आराधना
लक्ष्मणगढ़ (अलवर / कमलेश जैन) सकल जैन समाज लक्ष्मणगढ ने आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में समाज द्वारा 8 से 17 सितंबर तक दसलक्षण महापर्व माना जा रहा है। आत्मशुद्धि के इस महापर्व के तीसरे दिन 10 सितंबर भाद्रपद शुक्ल पक्ष सप्तमी मंगलवार को उत्तम आर्जव धर्म की आराधना की गयी। समाज के अध्यक्ष सुमेरचंद जैन वरिष्ठ सदस्य सुमत चंद जैन ने बताया कि आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में सुबह 7 बजे से धर्म प्रेमी बधुओ की भीड़ देखने को मिल रही है। समाज के सदस्य नित्य नियमों से अभिषेक, शांति धारा, पूजन, उपदेश आदि कार्यों में शुद्ध केसरिया, पीली, श्वेत धोती पहनकर भाग ले रहे हैं।आज प्रातः 8 धर्मावलंबियो द्वारा जिन मंदिर में आदिनाथ भगवान की बेदी के समरूप पांडुशिला में श्रीकार लेखन कर भगवान को स्थापित किया गया।
मुखारविंद से उच्चारित मंत्रोच्चारण के साथ प्रासुक जल से जल शुद्धि पांडुशिला में रजत कलशों के माध्यम से श्रीजी का अभिषेक एवं रिद्धि सिद्धि सुख शांति प्रदाता शांतिधारा रजत कलशों से प्राप्त किया गया। शांति धारा के बाद प्रत्यक्ष भक्तों ने भगवान की संगीतमय आरती भी की। साथ ही अष्ट द्रव्यों से निर्मित उत्तम आर्जव धर्म का पूजन कर सभी भक्तों ने अर्घ्य समर्पित किया। जैन धर्मावलंबियों की आत्मशुद्धि का दसवां दिव्य पर्यूषण पर्व कस्बे में पूरी तरह से धार्मिक प्रभावना के साथ मनाया जा रहा है। मंगलवार को पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म धार्मिक प्रभावना के साथ मनाया गया।
तीसरे दिन आर्जव का अर्थ जीवन में सरलता है जो कि उत्तम आर्जव है। ऋजुता का भाव ही आर्जव है। हमारे जीवन में ऋजुता तभी आएगी जब हम बाहर से एक हो जाएं। मन,वचन,काय में अप्रभावी आना ही आर्जव भाव है। हमारे भावो में इतनी सरलता अति होगी हमारी दुर्गतियों का नाश होगा। शास्त्र में भी कहा गया है कि उत्तम आर्जव कपट पादवे,दुर्गति त्याग सुगति उपजावे। इस कार्यक्रम में सुमत चंद जैन लोकेश जैन मोंटू जैन धीरज जैन गौरव जैन मानक जैन प्रदुमन जैन, भगवान की पूजा के लाभार्थी रहे। सुमेरचंद जैन हुकुम जैन कमल जैन दिव्यांश जैन विशेष रूप से इंदिरा विमला मैंना इंदिरा माला मधु मुन्नी देवी जैन महिलाएं शामिल थीं।