देश के बंटवारे में बलोचिस्तान में रह गई हिंगलाज शक्तिपीठ, पाक से भुल्लूपुरी परिवार लाया ज्योत: खैरथल में बनाए मंदिर
हिंगलाज माता के मूल स्थान नहीं जा पाने वाले श्रद्धालु पवित्र ज्योत का दर्शन करने आते हैं
खैरथल (हीरालाल भूरानी) सनातन धर्म के 51 शक्तिपीठों में शामिल हिंगलाज माता का मूल स्थान देश के बंटवारे के बाद बलोचिस्तान में चला गया। उसकी प्रतिकृति में खैरथल एवं वल्लभग्राम में हिंगलाज माता का मंदिर बनाया गया। जो नवरात्रि में लोगों की अटूट आस्था का केंद्र बन गया है। पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए हिन्दुओं में से एक भुल्लूपुरी गोस्वामी ने बलोचिस्तान में शक्तिपीठ हिंगलाज माता मंदिर से पवित्र ज्योति लाकर खैरथल के मंदिर में ज्योत प्रज्वलित की। यहीं मंदिर बनाया गया। अब मंदिर से लोगों की ऐसी आस्था जुड़ी है कि देशभर से हर साल यहां लोग आते हैं। मान्यता है कि उसी ज्योत का अंश यहां प्रज्वलित होने से मंदिर की पवित्रता यहां भी बनी हुई है।
पाकिस्तान के बलोचिस्तान में हिंगोल नदी तट पर दो पर्वतों के बीच है हिंगलाज माता का पौराणिक मंदिर है। भारत तसे भी बड़ी संख्या में भक्त वहां दर्शन करने जाते हैं। जो लोग वहां नहीं पहुंच पाते, वे खैरथल में प्राचीन हिंगलाज माता मंदिर सहित बल्लभग्राम में दर्शन करने आते हैं। मंदिर के पुजारी पुरुषोत्तम पुरी, संजय पुरी बताते हैं पूर्व में उनका परिवार पाकिस्तान में बलोचिस्तान में रहता था। जहां उनके बुजुर्गों नदी में स्नान करने जाते थे। एक दिन पीछे से आवाज आई तो उसे दिशा में जाकर देखा तो नदी में हिंगलाज माता की मूर्ति मिली। जिसे काफी सिंदूर लगा हुआ था। वहीं बाद में मंदिर बना। जहां से मां की मूर्ति व ज्योत उनके पूर्वज भूलूपुरी परिवार सम्मान के साथ खैरथल लाए। यहां विधि विधान से मंदिर निर्माण किया गया।
पुरानी आबादी क्षेत्र स्थित हिंगलाज माता मंदिर, मंदिर में हुई कलश स्थापना :
संजय पुरी ने बताया कि शारदीय नवरात्रि शुरू होने पर 2 अक्टूबर को सुबह 9:15 पर कलश स्थापना की गई है। मंदिर पर 9 अक्टूबर को रात्रि 10:17 से 11:42 तक छठ पूजन जागरण होगा। अगले दिन 11 अक्टूबर को सुबह 10:15 बजे पर हवन, कन्या पूजन उसके बाद भंडारा होगा। हिंगलाज माता मंदिर में रोजाना सुबह 6 बजे व शाम 7 बजे आरती होती है। इसी तरह बल्लभ ग्राम स्थित हिंगलाज मंदिर के पुजारी साई भानू नाथ बताते हैं कि शारदीय नवरात्र के दौरान मंदिर में अहमदाबाद, अजमेर, जयपुर दिल्ली आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। रोजाना भक्तों के द्वारा सुबह व शाम आरती कर प्रसाद वितरण किया जाता है।