जिले भर में महिलाओं ने किया करवा चौथ का उपवास की पति सहित परिवार के सुख समृद्धि की कामना
अलवर ,राजस्थान
जिले भर में करवा चौथ का पर्व परंपरागत हर्षोल्लास से मनाया गया।इस अवसर पर महिलाओं और युवतियों के साथ साथ कुछ पुरुषों ने भी उपवास रख कर परिवार के मंगलमय रहने की कामना की। महिलाओं ने उपवास रख कर चौथ माता एवं गणेशजी महाराज की कहानियां सुन कर रात्रि को चन्द्रमा को अर्ध्य देकर उपवास खोला। गौरतलब रहे कि करवा चौथ का व्रत एवं कुरंजा पक्षी का संबंध अफगानिस्तान भारत में शीतकालीन प्रवास पर आने वाली डेमोजल क्रेन ऊर्जा कुरंजा मरूधरा विरहणी के साथ अनूठा सम्बन्ध रहा हैं।
कुरंजा सितम्बर माह में यहाँ आती है और सर्दी समाप्ति के बाद वापस स्वदेश लोट जाती है। ऐसे में जब करवा चौथ और ऐसे मांगलिक त्यौहार आते है तब पत्नी को अपने से दूर बसे पति की याद आनी स्वभाविक है। आपको यह बता दे राजस्थान के बहुतायत में लोग देश के सुदूर प्रदेशों में व्यापार, कारोबार और रोजी रोटी के लिए जाते है। पति के विरह में घर में अकेली सो रही महिला रात को आसमान में वी आकार में उड़ती कुरजा के समूह को देखती है तो अपने मन के भाव बताने के लिए यह उसे ही अपनी सच्ची सखी मान लेती है। ऐसे ही विरह के झीलें झोंको से राजस्थानी संस्कृति में महिलाओं ने " कुरजां म्हारी भंवर मिला दे " और " उड़ती कुरजलिया संदेशों लेती जाइजै रै" जैसे मन भावन गीत रच दिये। कुरजां का कलरव आज भी रोमांचित कर उठता है। करवा चौथ पर दूर बैठे अपने पति के पत्नी अब भले ही मोबाइल परवाटसप पर अपनी बात कह दे ।
लेकिन प्राचीन काल में कुरजां के साथ संदेश भेजने में जो आनंद था उसका मजा अलग था ।
- अनिल गुप्ता