उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 की प्रमुख विषय- वस्तु: 24 दिसंबर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस
24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अस्तित्व में आया था तब से 24 दिसंबर को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। ई-कॉमर्स व ऑनलाइन क्रय विक्रय के कारण उपभोक्ताओं को दोषपूर्ण व मिलावटी उत्पाद, अधिक कीमत, बिक्री बाद सेवा देने से इनकार करने जैसे कृत्यों से सहजता से न्याय दिलाने हेतु उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 पारित किया गया जो 20 जुलाई 2020 से लागू हुआ। अब 1986 वाला कानून अस्तित्व में नहीं रहा है।
नए कानून में भी पूर्व की भांति उपभोक्ताओं की सुनवाई हेतु त्रिस्तरीय व्यवस्था की गई है यथा - जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग
प्रत्येक जिले में एक आयोग होगा जिसमें एक अध्यक्ष व दो सदस्य होंगे
वस्तुओं या सेवाओं के प्रतिफल के रूप में संदत्त मूल्य एक करोड रुपए से कम होने पर जिला आयोग में परिवाद पेश करना होगा ,परिवाद इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से भी पेश किया जा सकता है। निर्णय /सुनवाई अध्यक्ष व कम से कम एक सदस्य द्वारा साथ बैठकर संचालित होगी।प्रथम सुनवाई या पश्चातवर्ती स्तर पर आयोग को लगता है कि समझौते से समाधान हो सकता है तो दोनों पक्षों को सहमति देने हेतु 5 दिन का समय दिया जाएगा।परिवाद की एक प्रति प्रतिवादी को 21 दिन के अंदर यह अनुरोध करते हुए दी जाएगी कि वह 30 दिन के भीतर अपना पक्ष रखें। प्रत्येक परिवाद की सुनवाई शपथ पत्र और अभिलेख पर रखे गए दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर होगी।सुनवाई व्यक्तिगत या वीडियो कॉन्फ्रेंस से होगी।विवाद को 5 माह की अवधि में निस्तारण करने की अपेक्षा की जाती है।आयोग को समाधान हो जाने पर माल में की गई त्रुटि को दूर करने, त्रुटिहीन माल से बदलना, माल या सेवा की कीमत ब्याज सहित अदा करना, मानसिक संताप या अन्य हानि दिलाना आदि निर्णय पारित करेगा।
पुनर्विलोकन--जिला आयोग के निर्णय के दौरान किसी अभिलेख को देखते हुए त्रुटि का पता चलता है तो स्वज्ञान से या आवेदन करने पर 30 दिन में पुनर्विलोकन हो सकेगा।
अपील--जिला आयोग के निर्णय से व्यथित कोई व्यक्ति 45 दिन की अवधि में राज्य आयोग में अपील कर सकेगा किंतु यदि जिला आयोग ने कोई रकम अदा करने का फैसला किया है तो 50% रकम जमा करने पर अपील होगी।
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-
इसमें एक अध्यक्ष व चार सदस्य होंगे। एक करोड़ से अधिक किंतु 10 करोड़ से कम तक के प्रतिफल पर राज्य आयोग में परिवाद दिया जा सकेगा। जिला आयोग के आदेशों के विरुद्ध अपील हो सकेंगी।
यदि कोई परिवादी राज्य आयोग को निवेदन करें कि उसका प्रकरण अन्य जिला आयोग में अंतरण करें तो उस पर उचित निर्णय किया जाएगा यदि राज्य आयोग उचित समझे तो जिला आयोग का प्रकरण किसी अन्य जिला आयोग को अंतरित कर सकेगा।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-
राज्य आयोग के निर्णय से 30 दिन की अवधि में राष्ट्रीय आयोग में अपील हो सकेगी। 10 करोड़ से अधिक प्रतिफल के परिवाद पेश होंगे। राष्ट्रीय आयोग में एक अध्यक्ष व चार सदस्य होंगे। राष्ट्रीय आयोग अपने निर्णय के 30 दिन के अंदर पुनर्विलोकन कर सकेगा। न्याय की आशा नहीं होने पर राष्ट्रीय आयोग परिवादी के किसी परिवाद को अन्य राज्य आयोग में ट्रांसफर कर सकेगा।
30 दिन के भीतर उच्चतम न्यायालय में अपील हो सकेगी। जिला, राज्य या राष्ट्रीय आयोग में परिवाद 2 वर्ष की अवधि निकलने के बाद फाइल नहीं हो सकेगा।
जिला, राज्य या राष्ट्रीय आयोग के निर्णय की पालना नहीं करने पर एक माह से 3 वर्ष तक कारावास व ₹25000 से ₹100000 तक जुर्माना किया जा सकेगा। जिला, राज्य या राष्ट्रीय आयोग को प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट समझा जाएगा। जिला, राज्य या राष्ट्रीय आयोग के आदेशों की अपील किसी न्यायालय में नहीं होगी।
(लेखक मंगल चंद सैनी पूर्व तहसीलदार व उपाध्यक्ष जिला उपभोक्ता समिति झुंझुनू)