डॉ. भीमराव अंबेडकर राजस्थान दलित आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना का उठायें लाभ
भरतपुर, 10 जनवरी। राज्य के गैर कृषि क्षेत्रों यथा विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार के विकास में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग का योगदान एवं उनकी प्रभावी भूमिका सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर राजस्थान दलित आदिवासी उद्यम प्रोत्साहन योजना-2022 लागू की गई है। योजना के तहत लक्षित वर्गों को उद्योग, सेवा एवं व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित परियोजनाओं की स्थापना, विस्तार, विविधिकरण एवं आधुनिकीकरण हेतु प्रभावी मार्गदर्शन, प्रदर्शन, सहयोग सहित विभिन्न प्रकार की सहायताएं एवं सुविधाएं उपलब्ध करवाई जायेंगी।
जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्र के महाप्रबंधक चन्द्रमोहन गुप्ता ने बताया कि योजना में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंधित गतिविधियों, कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों (पशुपालन, पक्षीपालन, उद्यानिकी आदि) के अतिरिक्त समस्त वैध विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार क्षेत्र में नवीन उद्यम स्थापित करने के साथ ही स्थापित उद्यम में विस्तार, विविधिकरण, आधुनिकीकरण करना सम्मिलित होगा। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के 18 वर्ष से अधिक उम्र के एकल आवेदक एवं ऐसी भागीदारी फर्म जिनमें अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के भागीदारों की 51 प्रतिशत से अधिक भागीदारी हो, योजनान्तर्गत पात्र होंगे। उन्होंने बताया कि योजना के तहत विनिर्माण, सेवा, व्यापार उद्यम हेतु वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से अधिकतम 85 से 90 प्रतिशत तक 3 से 7 वर्ष के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसके लिये आवेदकों को सीजीटीएमएसई अंतर्गत गारंटी फीस का पुनर्भुगतान, परियोजना लागत की 25 प्रतिशत अथवा 25 लाख रूपये जो भी कम हो तक मार्जिन मनी अनुदान तथा 5 वर्ष तक 6 से 9 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान संबंधी वित्तीय सुविधाएं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जायेंगी। योजना के अंतर्गत लक्षित वर्ग के ऐसे आवेदक जो राजस्थान के मूल निवासी हों, बैंक में किसी भी प्रकार से डिफाल्टर नहीं रहे हों, मानसिक रूप से अस्वस्थ्य एवं दिवालिया न हों एवं केन्द्र व राज्य सरकार के किसी भी राजकीय उपक्रम में कार्यरत न हों, इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी हेतु 16 जनवरी को प्रातः 11 बजे जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्र में जागरूकता शिविर में भाग लेकर योजना का लाभ उठा सकते हैं।