गोविंदगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मोबाइल की लाइट से हो रहा दुर्घटना में घायल एवं मरीजों का इलाज

गोविन्दगढ़, अलवर
गोविंदगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत इन दिनों बदतर होती जा रही है। मंगलवार रात को बिजली गुल हो जाने के बाद अस्पताल में डॉक्टरों को मोबाइल की टॉर्च लाइट के सहारे दुर्घटना में घायल एवं मरीजों का इलाज करना पड़ा।
अस्पताल में न तो जनरेटर की व्यवस्था थी और न ही इन्वर्टर काम कर रहा था। इससे इमरजेंसी वार्ड में अंधेरा छा गया और मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। मोबाइल की रोशनी में दुर्घटना में घायल के पांव की मरहम पट्टी ओर इंजेक्शन लगाना इलाज पड़ा और प्राथमिक उपचार किया गया। जिसके बाद गम्भीर अवस्था मे अलवर रैफर किया।
घायल के परिजन चेतराम ने बताया कि वह और उसका बेटा देवेन्द्र अपने गांव जा रहे थे जिसमें एक मोटरसाइकिल सवार ने टक्कर मार दी से उन्हें अस्पताल लेकर आए थे लेकिन अस्पताल में लाइट नहीं थी उनके बेटे के पांव में फैक्चर आया था साथ ही पांव में नसों में गंभीर चोट आई थी लेकिन मोबाइल की रोशनी में वहां उपस्थित डॉक्टर निशि अग्रवाल ने उपचार कर उन्हें अलवर रैफर किया।
स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है, बल्कि आए दिन बिजली जाने पर अस्पताल की यही स्थिति रहती है। लोगों की मांग है कि अस्पताल में तुरंत जनरेटर या बैकअप व्यवस्था की जाए, ताकि आपातकालीन सेवाएं प्रभावित न हों। वहीं रामगढ़ विधायक सुखवंत सिंह भी यहां हॉस्पिटल का दौरा कर चुके हैं और इन व्यवस्थाओं को जल्द से जल्द सुधरने के निर्देश भी दे चुके हैं।
स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर शिवाकांत शर्मा ने बताया कि अस्पताल में जनरेटर है लेकिन वह खराब हो गया था और उसे बाद में सही करवाया गया है और इनवर्टर भी डाउन हो गया था हम आपको आश्वस्त करते हैं कि आज या कल में इन्हें दुरुस्त करवा दिया जाएगा।
रूपेंद्र शर्मा ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि सीएससी गोविंदगढ़ में रात्रि में लाइट नहीं होने पर मोबाइल की टॉर्च में घायलों एवं मरीजो का उपचार करने की जानकारी मिली है। इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी एवं ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों से जवाब लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल में इस समस्या का जल्द समाधान का आश्वासन दिया गया। लेकिन फिलहाल यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। इस लापरवाही के चलते किसी मरीज की जान पर आ सकती है।






