युवक-युवती ने रील बनाने के लिए राष्ट्रीय पक्षी मोर के नोचे पंख: वन विभाग ने दर्ज किया केस

पशु-पक्षियों पर अत्याचार रोकने के लिए भारत सरकार ने साल 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसका मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था। इसमें साल 2002 में संशोधन किया गया, जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा गया। इसमें दंड और जुर्माना को और भी सख्त कर दिया गया है।

May 22, 2023 - 17:31
May 22, 2023 - 17:34
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युवक-युवती ने रील बनाने के लिए राष्ट्रीय पक्षी मोर के नोचे पंख: वन विभाग ने दर्ज किया केस

कटनी (मध्यपरदेश/ सत्येंद्र बर्मन) वीडियो रील बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए एक युवक ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। युवक ने राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंख नोच दिए। उसके साथी ने बकायदा इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद वन विभाग ने अज्ञात पर केस दर्ज किया है। मामला मध्यप्रदेश के कटनी का है। वीडियो में मोर के साथ एक युवक और युवती बैठे नजर आ रहे हैं। एक अन्य युवक भी नजदीक ही ऊंचाई पर बैठा दिख रहा है। वीडियो में युवक मोर के पंख नोच रहा है। वह हंसते हुए कैमरे के सामने देख रहा है। वीडियो को संज्ञान में लेते हुए वन विभाग ने वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत शुक्रवार को केस दर्ज किया है। रविवार को डीएफओ ने इस बारे में जानकारी दी।

विभाग ने अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया मामला -- वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वीडियो में जो युवक दिख रहा है। अभी उसका नाम नहीं पता चल सका है। अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक ये युवक रीठी क्षेत्र में दिखाई दिया है। इसलिए वहां तलाश शुरू की। वहीं वीडियो में जो बाइक दिख रही है, उसका मालिक परिवहन विभाग के रजिस्ट्रेशन नंबर के अनुसार डिंडौरी निवासी जयमनीषा बिहिलया है। विभाग वाहन मालिक से भी संपर्क करने की कोशिश कर रहा है। युवक का पता लगाकर उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग के अलावा पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है।

गुजरात के एनजीओ से मिला वीडियो---  डीएफओ गौरव शर्मा ने बताया कि दो दिन पहले गुजरात के एक एनजीओ ने हमें ये वीडियो भेजा था । इंस्टाग्राम पर ये वीडियो युवक ने अपलोड किया था। सूचना मिलने के बाद हमने कार्रवाई शुरू कर दी। पुलिस अधीक्षक को भी इसकी जानकारी दी, जिनके सहयोग से हमने रीठी क्षेत्र में दबिश दी। लेकिन आरोपी नहीं मिला।

भारत के संविधान में भी जानवरों की रक्षा के लिए कानून है।

 यह है कानून की डिटेल

  • प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11(1) के मुताबिक पालतू जानवर को छोड़ने, उसे भूखा रखने, नुकसान पहुंचाने, भूख और प्यास से मारने के दोषी के खिलाफ केस दर्ज हो सकता है और 50 रुपए का जुर्माना देना पड़ सकता है। अगर तीन महीने के अंदर दूसरी बार जानवर के साथ ऐसा हुआ तो 25 से 100 रुपए जुर्माने के साथ 3 महीने की जेल हो सकती है।
  • ट्रांसपोर्ट ऑफ एनिमल रूल्स, 1978 की धारा 98 के मुताबिक, पशु को स्वस्थ और अच्छी स्थिति में ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना चाहिए। किसी भी बीमारी से पीड़ित या थके हुए जानवर को यात्रा नहीं करानी चाहिए। ऐसा करना अपराध है।
  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के तहत जंगली पक्षियों या सरीसृपों को नुकसान पहुंचाना, उनके अंडों को नुकसान पहुंचाना, घोंसलों को नष्ट करना अपराध है। ऐसा करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 से 7 साल की जेल और 25,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है
  • इंडियन पिनल कोड (भारतीय दंड संहिता) की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, नुकसान पहुंचाया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। जुर्माने का भी प्रावधान है।
  • भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल (2001) के मुताबिक किसी भी डॉग एक स्थान से भगाकर दूसरे स्थान पर नहीं भेजा जा सकता। अगर उसके काटने का डर है तो पशु कल्याण संगठन में संपर्क कर सकते हैं।
  • भारत सरकार के एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल (2001) की धारा 38 के मुताबिक किसी पालतू डॉग को स्थानान्तरित करने के लिए चाहिए कि उसकी उम्र 4 महीने पूरी हो चुकी हो। इसके पहले उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना अपराध है।
  • जानवरों को लंबे समय तक लोहे की रॉड या फिर भारी रस्सी से बांधकर रखना अपराध की श्रेणी में आता है।अगर आप जानवर को घर के बाहर नहीं निकालते तो यह भी कैद माना जाता है। ऐसे अपराध में 3 महीने की जेल और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11(1) के तहत अगर किसी गोशाला, कांजी हाउस, किसी के घर में जानवर या उसके बच्चे को खाना और पानी नहीं दिया जा रहा तो यह अपराध है। ऐसे में 100 रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
  • मंदिरों और सड़कों जैसे स्थानों पर जानवरों को मारना अवैध है। पशु बलिदान रोकने की जिम्मेदारी स्थानीय नगर निगम की है। पशुधन अधिनियम, 1960, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत ऐसा करना अपराध है।
  • किसी भी जानवर को परेशान करना, छेड़ना, चोट पहुंचाना, उसकी जिंदगी में बाधा पैदा करना अपराध है। ऐसा करने पर 25 हजार रुपए जुर्माना और 3 साल की सजा हो सकती है।

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