प्रतिदिन छः टेंकर पानी के साथ साथ दो बोरिंग का पानी आने के बावजूद चार दिन में एक दिन आती है पेयजल सप्लाई

अलावडा कस्बे में विगत डेढ़ साल से पेयजल संकट। विभाग द्वारा लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

Jun 28, 2020 - 05:35
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प्रतिदिन  छः टेंकर पानी के साथ साथ दो बोरिंग का पानी आने के बावजूद चार दिन में एक दिन आती है पेयजल सप्लाई

अलावडा अलवर

अलावडा कस्बे में विगत डेढ़ साल से पेयजल संकट वर्तमान सरपंच जुम्मा खां के अथक प्रयास से छः माह पूर्व लगे नये बोरिंग को चालू कराने के बाद भी आठ से दस दिन में एक बार पेयजल सप्लाई दी जाती रही है। लगभग डेढ़ माह पूर्व पानी की विकट समस्या को देखते हुए और सरपंच जुम्मा खां के प्रयास से छः टेंकर पानी कस्बे में आपूर्ति करने के लिए विभाग द्वारा भेजना शुरू किया गया। उसमें भेदभाव और रोजाना होने वाले झगड़ों की संभावना को देखते हुए बूस्टर द्वारा कस्बे में बनी पानी की टंकी में चढ़ा। बोरिंग की आने वाली सप्लाई के साथ मिक्स कर कस्बे में मिलने वाली जलापूर्ति आठ से दस दिन के बजाय चार या पांच दिन में एक बार की जाने लगी है।

लेकिन कस्बे में पेयजल आपूर्ति के लिए बनाए गए जोन ( मौहल्लों के भाग) में प्रजापत मौहल्ले और ऊपरी मौहल्लों में अधिक कनेक्शन होने के कारण एक से डेढ़ घंटे तक दी जाने वाली पेयजल सप्लाई अंतिम छोर पर पहुंचने के 15 से 20 मिनट में बंद कर दी जाती है।

इसमें में भी टेंकर सप्लाई का पानी पीने योग्य नहीं होने के बावजूद मिक्स करके दिया जा रहा है।

पेयजल समस्या के कारण डेढ़ वर्ष में ग्रामीणों द्वारा अनेकों बार लिखित शिकायत के साथ साथ उग्र प्रदर्शन भी किए गए हैं। राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर भी अनेकों बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद सरकार और विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

ग्रामीणों द्वारा रोजाना पानी की जरूरत को देखते हुए धनाढ्य लोगों द्वारा व्यवसाय करने वाले बोरिंग मालिकों से घर तक पाइप लाइन के माध्यम से छः सौ रुपए मासिक दे घरेलू उपयोग के लिए लिया जा रहा है। और पीने के लिए कस्बे में आरोपों का पानी 15 रु प्रति केंपर या पीपा खरीद कर गुजारा किया जा रहा है।

गरीब और मध्यम वर्ग के लोग कंही दूर तो कंही अपने आसपास में लगे बोरिंग, हैण्ड पम्प या कृषकों के बोरिंग से पीने के पानी का जुगाड कर गुजारा कर रहे हैं।

गौरतलब है कि विगत सात वर्षों में कस्बा अलावडा में पेयजल आपूर्ति के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर पाइप लाइन और टंकी निर्माण कार्य और अनेक बोरिंग लगवाए गए हैं लेकिन भ्रष्टाचार और अधिकारियों की सांठगांठ के कारण जिन बोरिंगों में पानी नहीं निकला उनका भी विभाग द्वारा ठेकेदारों को भुगतान कर और एक वर्ष या दो वर्ष बाद बोरिंग को  अनुपयोगी दिखा सरकार को चूना लगाया गया और जनता की समस्या जैसी पहले थी वैसी आज भी है। जबकि विभाग द्वारा दिए जाने वाले टैण्डर में पानी की क्वाल्टी सही होने और कंवांटीटी प्रर्याप्त होने की जांच के बाद ही भुगतान की शर्तें लिखी होती हैं।

इस बारे में कनिष्ठ अभियंता मोहर सिंह ने  बताया कि टेंकर से पानी मंगवाने से पहले आठ दिन के बजाए अब चार दिन में आपूर्ति हो रही है एक नया बोरिंग लगाया गया उसका कनेक्शन भी हो चुका है शीघ्र ही चालू करवा दिए जाने से समस्या समाधान हो जाएगा और टैंकर सप्लाई को बंद कर देंगे।

राधेश्याम गेरा की रिपोर्ट

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