हीरक वर्ष (डायमंड जुबली) व प्रो. एनके सिंघी स्मृति व्यख्यान का किया गया आयोजन

गांधी न केवल राष्ट्रपिता है अपितु मानवता की माता है

Sep 7, 2021 - 01:10
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हीरक वर्ष (डायमंड जुबली) व प्रो. एनके सिंघी स्मृति व्यख्यान का किया गया आयोजन

जयपुर (राजस्थान/ शबीर नागौरी)  समाजशास्त्र विभाग ,राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा हर वर्ष की भांति  इस वर्ष भी प्रो.एन. के. सिंघी की स्मृति में दिनांक 6 सितंबर 2021 को   स्मृति व्याख्यान आयोजित किया गया।  कार्यक्रम संयोजक रोहित कुमार जैन में बताया कि यह स्मृति व्याख्यान वर्ष 2003 से समाजशास्त्र विभाग द्वारा  निरंतर आयोजित किया जा रहा है। प्रो.  एन. के.सिंघी न केवल समाजशास्त्रीय जगत अपितु सम्पूर्ण बौद्विक जगत में अपनी अकादमिक प्रतिभा व कृतित्व के  लिए जाने जाते रहे है। इस वर्ष समाजशास्त्र विभाग अपना हीरक जयंती( diamond jubilee year) वर्ष को भी मना रहा है। विभाग में अनेकानेक ख्यातिनाम प्रोफेसर रहे है जिनमे से प्रो.एन. के. सिंघी समाजशास्त्रीय जगत के बड़े हस्ताक्षर रहे है।इस वर्ष के प्रारंभ में IIT दिल्ली में प्रो. सिंघी.की स्मृति में शोध पीठ की स्थापना भी की गई है । तदुपरांत विभागाध्यक्ष डॉ रश्मि जैन द्वारा स्वागत उध्बोधन में विभाग की गौरवशाली परम्परा को बताते हुए प्रो सिंघी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।स्मृति व्याख्यान की अध्यक्षता प्रो एसएल शर्मा डीन  ,समाज विज्ञान संकाय  राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा की गई। मुख्य वक्ता प्रो.विद्या जैन ,कन्वेनर नॉन वायलेंस कॉमिशन ,IPRA रही। व्यख्यान का विषय "गांधी का नारीवादी चिंतन :एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना " रहा। मुख्य वक्ता प्रो.विद्या जैन ने अपने उध्बोधन में बताया कि गांधी के विचार सकलता में है ,जिसमे किसी भी प्रकार का विभेद नही है । ऐसे में ,गाँधीवादी समाज रचना में स्त्री- पुरुष में कोई भेद नही होना चाहिए। गाँधी को न केवल राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता ,अपितु उनको मानवतावादी दृष्टिकोण की माँ के रूप में भी जानना चाहिए । करुणा के कारण स्त्री पुरुषों से न केवल श्रेष्ठ है अपितु समाज की महत्वपूर्ण निर्णायक घटक भी है। आज स्त्री विमर्श की चिंता का प्रमुख विषय स्त्री पर पितृसत्तात्मक समाज द्वारा दोहरी भूमिका निभाने के लिए बाध्य करना है। एक तरफ तो वह सार्वजनिक जीवन मे  स्त्री आगे बढ़ रही है ,दूसरी तरफ पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने का दवाब भी निरंतर बना हुआ है। यदि आज हम गांधी के समाज को साकार रूप में देखना चाहते है तो हम स्त्रीत्व गुण को समाज सर्वव्यापी कर आने वाली पीढ़ी का निर्माण करना होगा,स्त्रीत्व से तात्पर्य मानवीय गुणों जैसे करुणा, ममत्व ,सेवा आदि का समाज सात्मीकरण से है। कार्यक्रम के अंत मे कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो एस एल शर्मा द्वार अध्यक्षीय उध्बोधन में न्यायपूर्ण समाज की स्थापना पर बल दिया।अंत मे मनीष यादव कार्यक्रम सह संयोजक द्वारा सभी को आभार व्यक्त किया गया । कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक रोहित कुमार जैन द्वारा किया गया।
 

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