ना पंडित ना शहनाई ना दावत ना फेरे हो गई शादी, सात परिवारों ने हिन्दू धर्म छोडकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली

Jul 4, 2020 - 03:24
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ना पंडित ना शहनाई ना दावत ना फेरे हो गई शादी, सात परिवारों ने हिन्दू धर्म छोडकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली

बयाना भरतपुर

बयाना 03 जुलाई। उपखंड के गांव ब्रम्हबाद में एक ऐसी अनोखी शादी हुई है। जो चहुंओर चर्चा का विषय बनी हुई है। ब्रम्हबाद के जाटव बस्ती निवासी ओमप्रकाश की पुत्री आरती का विवाह हिन्डौन निवासी मोहनसिंह पुत्र विजयसिंह के साथ हुआ है। इस शादी में ना कोई बैंडबाजा, ना कोई पंडित ना कोई दानदहेज का लेनदेन हुआ। इस शादी समारोह में शामिल हुए दोनों पक्षों के 7 परिवारों के 32 जनों ने सनातन धर्म छोडकर बौद्ध धर्म की दीक्षा लेना बताया है। इस विवाह की खास बात यह रही कि नवदम्पत्ती ने भारतीय संविधान की शपथ लेते हुए एक दूजे का आजीवन साथ देने की कस्में खाई और धर्मकीर्ती चक्र व संविधान निर्माता डाॅ.भीमराव अम्बेडकर,संत रविदास, कबीरदास वाल्मिकी व रामास्वामी पेरिया, गुरूनानक, महात्मा ज्योतिराव फुले व सावित्री बाई फुले के चित्रों पर पुष्प चढाकर सामाजिक मर्यादाओं को निभाते हुए समाज व देश की एकता और भाईचारे को बनाए रखने की भी शपथ ली। विवाह के निमंत्रण पत्रों पर भी विज्ञान व उच्च शिक्षा और नशाबंदी एवं कुरितियों से संबंधित नारे अंकित कराए गए। दहेज के रूप में नव दम्पत्ती को महापुरूषों के चित्रों व उनकी पुस्तकों सहित संविधान की पुस्तक उपहार स्वरूप भेंट की गई।

बयाना संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट

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