गांधी परिवार के खिलाफ सिंधिया के बाद पायलट की बगावत

दोनों नेताओं के पिता भी गांधी परिवार को दे चुके थे चुनोती

Jul 15, 2020 - 06:10
 0
गांधी परिवार के खिलाफ सिंधिया के बाद पायलट की बगावत

सूबे की गहलोत सरकार बरकरार रहेगी या नहीं यह अतिमहत्वपूर्ण नहीं है।प्रदेश की अमूमन जनता यह समझकर अभी भी कन्फ्यूज है कि सूबे में गहलोत और सचिन पायलट के बीच गद्दी को लेकर टकराव चल रहा है जबकि जनता की यह धारण कतई गलत है।मध्यप्रदेश में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच भी टकराव की ही अफवाहें चली थी जबकि अंदरूनी वजह कांग्रेस पार्टी में सिंधिया की अनदेखी ही थी।
दरअसल कांग्रेस में टकराव की असल वजह काबिलियत की अनदेखी कर गांधी परिवार की खुशामत करना है।सचिन पायलट अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से पास आउट है।वे पढ़े लिखे वाकई युवा नेता है।पायलट अपना सुनहरा भविष्य जानते है।ऐसे में गांधी परिवार के अयोग्य मां, बेटे और बेटी के नेतृत्व में पायलट लगातार योग्यता की अनदेखी होने पर कैसे कांग्रेस में अपना राजनीतिक भविष्य दाव पर लगा सकते है।पायलट की राजनीतिक और व्यक्तिगत छवि बेदाग़दार है ।यह किसी से छुपी हुई नहीं है।परिवार की पुश्तेनी सीट अमेठी से चुनाव हारने वाले कथित युवा नेता राहुल गांधी के नेतृत्व  सिंधिया के बाद पायलट को रास नहीं आ रहा था।सूबे में पायलट की मेहनत की बदौलत ही पार्टी की वापसी होने के बाद भी पायलट के टेलेंट और जनता की भावनाओं की अनदेखी कर गांधी परिवार के खास माने जाने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मख्यमंत्री बना देना सूबे की जनता को भी रास नहीं आ रहा था।ऐसे में सचिन पायलट का दर्द वाजिब ही कहा जाएगा।सनद रहे कांग्रेस मुक्त राजस्थान में कांग्रेस को जिंदा करने में सचिन पायलट की अहम भूमिका रही है इसमें दो रॉय नहीं है।चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री का ताज वास्तविक हकदार पायलट से छीनकर गहलोत को पहना देना पायलट क्या किसी अन्य ईमानदार-महत्वकांक्षी नेता को भी रास नहीं आएगा।यही असल वजह रही कि पायलट और गहलोत में टकराव चलता रहा।दूसरी वजह यह है कि कथित गांधी परिवार को जब यह अहसास होने लगता है कि कांग्रेस पार्टी में कोई युवा नेता अपनी लोकप्रियता के दम पर भविष्य में गांधी परिवार को चुनोती देकर गांधी परिवार पर भारी पड़ सकता है ऐसे में गांधी परिवार उस युवा नेता की योग्यता को दरकिनार कर उसे दबाने का हरसम्भव  प्रयास करता है।सिंधिया और पायलट दोनों ही कांग्रेस के युवा नेताओं में फर्जी गांधी परिवार के सदस्य सोनिया,राहुल और प्रियंका वाड्रा उर्फ गांधी से चार गुना शैक्षणिक और राजनीतिक समझ होने के साथ जनता के बीच अच्छी खासी पकड़ है।हालांकि दोनों युवा नेता भी राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से ही आए है लेकिन इन दोनों नेताओं ने अपने बूते राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाकर अमेठी से चुनाव नहीं हारा है।काबिलियत के मामले में गांधी परिवार सिंधिया और पायलट के मुकाबले में काफी पीछे है।पायलट को काबिलियत के हिसाब से महत्व नहीं मिलने और लगातार अनदेखी के चलते ही पायलट ने भी सिंधिया की तरह ही बगावत का रास्ता अपनाया है।दोनों के पास अन्य पार्टी में जाने का विकल्प नहीं भी होता है तो वे खुद मजबूत अनुभवी युवा नेता है और वे स्वयं गांधी परिवार की तरह ही कांग्रेस की तरह ही नई कम्पनी बनाकर अपना और अन्य उभरते नेताओं का अलग भविष्य बना सकते है।
दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया की बदौलत ही मध्यप्रदेश में पंद्रह साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी लेकिन सिंधिया की भी अनदेखी कर कमलनाथ के फर्जी गांधी परिवार के नजदीक होने की वजह से ही मुख्यमंत्री के ताज से नवाजा गया था।काबिलियत की अनदेखी से ही खफा सिंधिया ने भी बगावत कर बीजेपी का दामन पकड़ा था।ठीक इसी प्रकार सचिन पायलट की भी सूबे में कांग्रेस को मजबूत कर सत्ता में वापसी की महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद यहां भी पायलट की अनदेखी कर गांधी परिवार के खास माने जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया।जब माथे से ऊपर पानी बहने लगा तो पायलट के सब्र का बांध टूट गया और अब मजबूरन बगावत का रास्ता अपनाना पड़ा।बेशक कांग्रेसी बीजेपी पर आरोप  लगाकर आमजन से अपनी ही पार्टी की गलत नीतियों और एक ही परिवार के इर्दगिर्द घूमने वाली राजनीति से खफा युवा नेताओं की वास्तविक बगावत की वजह को छुपाने का प्रयास कर रही है लेकिन जनता सब जान चुकी है।दोनों युवा नेता  महत्वकांक्षी है।उनकी राजनीति में पार्टी से नहीं बल्कि अलग पहचान है।देश की जनता भी देश-प्रदेश की कमान उन युवा नेताओं के हाथों में सौंपने का मानस बना चुकी है जिनमें आत्मविश्वास के साथ कुछ अलग हटकर कर गुजरने की अपार योग्यता है।मुख्यमंत्री गहलोत को पार्टी हित में उम्र के लिहाज से पायलट को सत्ता की चाबी देकर राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए।
सनद रहे सिंधिया और पायलट की पिता भी बगावती तेवर के लिए जाने जाते है।कांग्रेस के शीर्ष परिवार पर अनेक मौकों पर दोनों गाहे बगाहे सवाल खड़े कर चुके थे लेकिन कमबख्त समय से पूर्व ही दोनों पीएम पद के दावेदार माने जाने नेताओं का निधन हो गया।बहरहाल राज्य में गहलोत सरकार रहेंगी या नहीं यह समय ही तय करेगा लेकिन यह तय है कि अब कांग्रेस  पार्टी के युवा नेता  गांधी परिवार के नेतृत्व को स्वीकार करने से कतराने लगे है।पायलट जिस कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद की वजह से लोकतंत्र नहीं उसमें रहे या नहीं रहे या फिर बीजेपी जॉइन करें या नहीं करें उनकी लोकप्रियता सिंधिया की तरह ही बरकरार रहेगी।उल्लेखनीय है कि पार्टी से नेता की लोकप्रियता निर्भर नहीं रहती बल्कि नेता के जनहित में काम और ठोस निर्णय से ही नेता  पीएम मोदी की तरह ही पार्टी से ज्यादा भारी पड़ते है।

       राजीव श्रीवास्तव की कलम से

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

एक्सप्रेस न्यूज़ डेस्क बुलंद आवाज के साथ निष्पक्ष व निर्भीक खबरे... आपको न्याय दिलाने के लिए आपकी आवाज बनेगी कलम की धार... आप भी अपने आस-पास घटित कोई भी सामाजिक घटना, राजनीतिक खबर हमे हमारी ई मेल आईडी GEXPRESSNEWS54@GMAIL.COM या वाट्सएप न 8094612000 पर भेज सकते है हम हर सम्भव प्रयास करेंगे आपकी खबर हमारे न्यूज पोर्टल पर साझा करें। हमारे चैनल GEXPRESSNEWS से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद................