नव वर्ष पर सतगुरु के आशीष प्राप्त करने उमड़े श्रद्धालु भक्त: प्रेम मनाने का सौदा है ना कि मनवाने का -निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा
खैरथल (हीरालाल भूरानी )प्रेम मानने का विषय है मनवाने का नहीं जब यह एहसास हो जाता है तो हम हर प्रकार के बंधनों से मुक्त होकर भक्ति मार्ग पर अग्रसर हो जाते हैं यह उद्गार निरंकारी माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा नव वर्ष के पावन अवसर पर सत्संग समारोह में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए प्रेम के भाव का जिक्र करते हुए अपने प्रवचनों में सतगुरु माता जी ने कहा कि जब हम इस विशाल परमात्मा से जुड़ जाते हैं तो फिर कोई बंधन शेष नहीं रहता। इस अवसर पर निरंकारी राजापिता रमित जी ने साथ संगत को संबोधित करते हुए फरमाया कि निरंकार पर हमारी आस्था और श्रद्धा हमारे निजी आध्यात्मिक अनुभव पर आधारित होनी चाहिए, ना की मात्रा किसी अन्य के कहने से प्रेरित होकर
इसी क्रम में खैरथल से भी श्रद्धालु भाई बहनों ने सतगुरु के दिव्य दर्शन एवं पवन प्रवचनों से स्वयं को अभिभूत किया इस अवसर पर खैरथल निरंकारी भवन पर मुखी महात्मा कन्हैया लाल जी निरंकारी ने अपने प्रवचनों में कहा कि प्रेम के द्वारा ही परमात्मा की प्राप्ति होती है इस पर पूर्ण विश्वास करके ही जीवन को जीना है हम ब्रह्म ज्ञान को आधार बनाकर सब में एक परमात्मा का नूर देखें और सभी से प्रेम करते हुए समानता का व्यवहार करें अंत में सतगुरु माता जी ने नववर्ष के अवसर पर सभी के लिए मंगल कामना करते हुए यही आशीर्वाद दिया कि इस नव वर्ष में हम सभी का जीवन सेवा सुमिरन और सत्संग से सज रहे है।