दस दिवसीय विशाल संत प्रवचन के चौथे दिन संतो ने कर्म को महत्वपूर्ण बताया

Apr 4, 2024 - 19:17
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दस दिवसीय विशाल संत प्रवचन के चौथे दिन संतो ने कर्म को महत्वपूर्ण बताया

राजगढ़ (अलवर)

राजगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र के ग्राम थाना राजाजी में स्थित प्राचीन सेठजी की छतरी पर संतोष के दस दिवसीय प्रवचन कार्यक्रम के चौथे दिन कर्म पर प्रकाश डाला गया।"उन्होंने गीता के श्लोक कर्मण्येवाधिकारस्ते, मां फलेशु कदाचन" सुनाते हुए कर्मों के फलों के बारे में विस्तार से बताया।
इसी संदर्भ में स्वामी रामानंद सरस्वती ने एक कविता के माध्यम से समाज में व्याप्त भयंकर बुराई शराब पर कटाक्ष करते हुए बताया की एक शराबी की वजह से उसका पूरा घर नरकमयी हो जाता है , उसके घर में कभी भी शांति नहीं रहती। उसकी पत्नी उसके बच्चे उसके माता-पिता एवं परिजन बहुत बुरी स्थिति से गुजरते हैं।  उन्होंने सत्कर्म पर बल दिया । 
स्वामी  नित्यानंद  ने अपने प्रवचन में बताया की कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है अच्छा कर्म तो अच्छा फल व बुरा कर्म तो बुरा फल मिलता है ।उन्होंने बताया कि माता-पिता की और संतों की सेवा करने से आयु ,यश, विद्या व शरीर में बल मिलता है , अपने माता-पिता भी अपने भगवान है उनकी सेवा का पुण्य फल तुरंत मिलता है अतः प्रभु की साधना के साथ-साथ सेवा कर्म करने पर भी स्वामी जी बल दिया ।
इसी कड़ी मे स्वामी श्री सुखानंद जी ने अपने प्रवचन मे बताया की व्यक्ति को अपने जीवन मे कर्म , अकर्म व विकर्म् को जानना अति आवश्यक है। स्वामी जी ने बताया की कर्म निष्काम होना चाहिए यानी की कार्य करो पर फल की इच्छा मत रखो। इसके अलावा सभी संतो ने अपने अपने निर्धारित समय मे कर्म की व्याख्या की। जिनका सैंकड़ों क्षृद्वालुओं ने लाभ उठाया।

  • अनिल गुप्ता 

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