भगवान का नाम और भगवान की कथा ही संत की सम्पत्ति है : श्याम बाबा
खैरथल (हीरालाल भूरानी ) कस्बे के विजय पार्क में आयोजित सत्संग समारोह में बाबा आयाराम दरबार सरदार नगर अहमदाबाद के गद्दी नशीन संत जीवण राम उर्फ श्याम बाबा ने सत्संग समारोह में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि संत की सम्पत्ति भगवत कथा और भगवान का नाम ही उसकी सम्पत्ति है।इसकी व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार एक गरीब आदमी था। गरीब था, क्योंकि कोई काम धंधा उसके पास नहीं था। और आप सोचते हों कि वह कोई काम धंधा कर क्यों नहीं लेता तो अब जो गरीब है वह कोई काम धंधा करे भी कैसे? इस प्रकार उसे अपनी गरीबी से निकलने का कोई उपाय न सूझता था। एक दिन एक संत उसके दरवाजे पर आ खड़े हुए। बेचारा संत के चरणों से लिपट कर रोने लगा। संत ने उठा कर अपने पास बैठाया और उसका सब हाल जाना।
संत ने उसकी पूरी बात सुनी और कहने लगे- भाई! तुम एक काम करो, किराने की दुकान खोल कर बैठ जाओ।
गरीब कहने लगा कि महाराज! आप क्या मजाक करते हैं? मेरे पास पैसा हो तब तो मैं दुकान करूं। दुकान तो सामान से होती है। सामान ही न होगा तो मैं बेचूंगा क्या?
संत ने कहा- भाई! तुम अधिक सामान के झंझट में न पड़ो। बस एक चीज रख लो, जैसे अजवायन रख लो। अजवायन सस्ती मिलती है। चाहे कोई भी ग्राहक हो, चाहे वह कुछ भी क्यों न माँगे, तुम अजवायन के ही गुण गाया करो। बाकी भगवान पर छोड़ दो।
वह गरीब, संत का कहना मान कर अपने दरवाजे पर अजवायन रख कर बैठ गया।
कोई भी ग्राहक आता, वह अजवायन की ही बात चलाता, कहता- भाई! अजवायन ले जाओ! बहुत बढ़िया अजवायन आई हुई है। इससे पेट तो साफ रहता ही है, भोजन भी जल्दी हजम होता है और बीमारी भी नहीं आती। अजवायन तो चमत्कारी चीज है। इसे रोटी में डालो, सब्जी में डालो, सलाद पर डालो, चाए में डालो और कभी कभी तो नमक मिला कर पानी से ही गटक जाओ। अजवायन का कोई मुकाबला नहीं। अजवायन खाओ, सदा सुख पाओ।
लोग थोड़ी बहुत अजवायन ले जाने लगे और धीरे धीरे वह "अजवायन वाला" कहलाने लगा और वह अजवायन का बड़ा व्यापारी बन गया।
लोकेशानन्द कहता है कि जैसे उस गरीब के पास केवल अजवायन ही थी, संत के पास भी केवल भगवान का नाम और भगवान की कथा ही है।
उसके पास चाहे कोई भी, किसी भी कारण से क्यों न आता हो, संत भगवान के नाम और कथा का ही गुणगान करता है। वह कुछ और करे भी कैसे? उसके पास इसके अलावा कुछ और है भी क्या? भगवान का नाम और भगवान की कथा ही संत की कुल सम्पत्ति है।