नगर भ्रमण को निकले भगवान लक्ष्मी नारायण, खैरथल में 75 वें स्थापना दिवस पर होंगे धार्मिक आयोजनों की रहेगी धूम
खैरथल (हीरालाल भूरानी) जन - जन की आस्था के प्रतीक भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर के स्थापना के 75 वर्ष होने पर 28 से 30 मई तक अनेकों धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर के महंत शशि भूषण गल्याण मिश्र ने बताया कि 28 मई को मंदिर परिसर में प्रातः पांच बजे प्रभात मंगल वेला में हवन यज्ञ आयोजित किया गया।शाम को सवा पांच बजे भगवान लक्ष्मी नारायण ( ठाकुर जी ) की भव्य शोभायात्रा बैण्ड बाजों के साथ नगर भ्रमण पर निकली।जो लक्ष्मी नारायण मंदिर से आरंभ होकर पुरानी अनाज मंडी के चक्कर लगाते हुए तिरंगा बाजार,मेन मार्केट होती हुई मातोर रोड अग्रसेन सर्किल से होती हुई वापस मंदिर पर पहुंची। शोभायात्रा को लक्ष्मी नारायण मंदिर के महंत शशि भूषण गल्याण मिश्र ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वहीं शोभायात्रा का जगह-जगह स्वयंसेवी संस्थाओं ने स्वागत किया । शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण दिल्ली की मशहूर बैण्ड, उज्जैन महाकाल का प्रसिद्ध वाद्य डमरू,हाथी,ऊंट, घोड़ों की सवारी थी।
वहीं अगले दिन 29 मई ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की छठ को मंदिर स्थापना के 75 वर्ष होने पर धूमधाम से स्थापना दिवस मनाया जाएगा।शाम सवा छह बजे दांतला बाईपास रोड स्थित लाडली महल से बैंड बाजों के साथ सैकड़ों की संख्या में महिलाएं भजनों पर थिरकती हुई लाडली महल की ओर से लक्ष्मी नारायण भगवान को न्योछावर एवं भेंट अर्पित की जाएगी। इस मौके पर देशी - विदेशी मेहमानों को आमंत्रित किया गया है।तीस मई को मंदिर परिसर में महा प्रसाद वितरण किया जाएगा।
समिति करती है संचालन - श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक लक्ष्मी नारायण मंदिर में प्रमुख त्योहारों पर आने वाले दर्शनार्थियों के सैलाब को नियंत्रित करने के लिए मंदिर व्यवस्था समिति के सेवादारों सहित पुलिस बल को तैनात करना पड़ता है। जन्माष्टमी व अन्नकूट पर मंदिर में प्रसाद के लिए लम्बी कतार लगती है। मंदिर में सुबह - शाम होने वाली आरती में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। शहर में आज बदलते परिवेश में भी घुड़चढ़ी व नव विवाहित जोड़ों को ढोक दिलाने की परम्परा अभी तक चली आ रही है। मंदिर में व्यवस्था के लिए एक समिति का भी गठन किया हुआ है। जिसमें समय-समय पर बदलाव होता रहता है।
महाराज तेज सिंह ने की थी स्थापना- उल्लेखनीय होगा शहर की पुरानी अनाज मंडी स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर की स्थापना अलवर महाराज तेज सिंह ने की थी। आसोज सुदी संवत् 2002 सोमवार के दिन ऐतिहासिक धर्मस्थल रैणागिरी मुंडावर के स्वामी मुखराम दास ने नींव का पूजन किया था। पांच वर्ष में बनकर तैयार हुए इस मंदिर में स्थापित की गई मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष छठ संवत् 2006 शुक्रवार को ततारपुर के जगमोहन शास्त्री के सानिध्य में की गई थी।उस समय मंदिर में भगवान लक्ष्मी नारायण के अतिरिक्त हनुमान जी व शंकर भगवान की मूर्तियां स्थापित की गई थी। मंदिर के प्रथम पुजारी पंडित मामराज मिश्र बीजवाड़ चौहान रहे, उनके पश्चात उनके बेटे रघुनंदन मिश्र रहे। वर्तमान में उनकी तीसरी पीढ़ी के शशि भूषण गल्याण मिश्र इस गद्दी पर आसीन हैं।