अक्षय तृतीया की तरह शुभ है भड़ली नवमी, बिना शुभ मुहूर्त के भी होंगे मांगलिक कार्यक्रम
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) कमलेश जैन
पंचांग के अनुसार 15 जुलाई को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का अंतिम दिन है। आषाढ़ शुक्ल नवमी को भड़ली नवमी कहा जाता है।इस तिथि को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। जिसमें बिना मुहूर्त देखे हर तरह के शुभ मांगलिक कार्य किए जाते हैं।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि भड़ली नवमी गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन सोमवार 15 जुलाई को मनाई जाएगी। नवमी तिथि 14 जुलाई शाम 5 बजकर 26 मिनट से शुरू हो जाएगी और 15 जुलाई शाम 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। भड़ली नवमी 15 जुलाई को मान्य होगी। गुप्त नवरात्रि का नवमी पूजन किया जाएगा भड़ली नवमी पर भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व है।
भड़ली नवमी पर बनने वाले शुभ योग
भड़ली नवमी की तिथि बहुत खास होने वाली है। क्योंकि बनने वाले योग इस तिथि के महत्व को और अधिक बढ़ा रहे हैं। भड़ली नवमी पर रवि योग सिद्ध योग, करण योग और शिववास योग रहेगा। साथ ही स्वाति नक्षत्र रहेगा।
भड़ली नवमी पर कौन से कार्य कर सकते हैं?
भड़ली नवमी स्वयंसिद्ध तिथि है और इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है। इसलिए बिना ज्योतिषी पंडित या पुरोहित से शुभ-मुहूर्त आदि दिखाए विवाह से लेकर गृह प्रवेश, मुंडन, कर्ण छेदन, भूमि पूजन आदि जैसे कई काम किए जा सकते हैं। मान्यता है कि इस तिथि किए गए काम शुभ फलदायी भी होते हैं। इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया की तरह शुभ माना गया है।