मियावाकी पद्धति से पौधरोपण पर हुई ऑनलाइन कार्यशाला
खैरथल (हीरालाल भूरानी)
राजकीय महाविद्यालय खैरथल में राष्ट्रीय सेवा योजना और पर्यावरण समिति के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार सायंकाल को एक विशेष कार्यशाला का आयोजन हुआ। प्राचार्य डॉ. नीतू जेवरिया ने बताया कि अमृत पर्यावरण महोत्सव की मूल भावना को आत्मसात करते हुए महाविद्यालय के विद्यार्थियों में मियावाकी पद्धति पर वृक्षारोपण करने की तकनीक की जानकारी प्रदान करने के लिए महाविद्यालय में ऑनलाइन वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम समन्वयक साक्षी जैन ने जानकारी दी कि जोधपुर जिले के खारिया खंगार गांव के निवासी वरिष्ठ शिक्षक विनोद लामरोर ने मियावाकी तकनीक से अपने गाँव के स्कूल के खेल मैदान के साथ लगते हुए पथरीले बंजर क्षेत्र पर पिछले दो वर्ष के अथक परिश्रम से एक बड़ा जंगल विकसित कर दिया है। इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को इस तकनीक की जानकारी प्रदान करते हुए मुख्य वक्ता विनोद लामरोर ने बताया कि पर्यावरण और जैवविविधता को बचाने के लिए वृक्ष लगाने और उन्हें विकसित करने की यह एक अत्यंत प्रभावी पद्धति है, जिसमें एक वर्गमीटर क्षेत्र में देशी खाद का इस्तेमाल करते हुए लगभग चार-पाँच देशी किस्म के वृक्ष लगाए जाते हैं। इस प्रकार लगाए जाने वाले जंगल धरती में नमी बनाए रखने, प्रदूषण को कम करने, वर्षा को आकर्षित करने और किसी क्षेत्र की जैव-विविधता को बनाए रखने में सहायक होते हैं। इस पद्धति को जापान के पर्यावरणविद अकीरा मियावाकी ने विकसित किया है। भारत में केरल में रामनाथ नामक शिक्षक ने इसी तर्ज पर विद्यावनम नामक जंगल विकसित किया है। कार्यक्रम में जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव सुरेंद्र ने युवाओं को आगे आकर अपने पर्यावरण को बचाने की अपील की। गोविंदगढ़ महाविद्यालय के प्रोफेसर हिमांशु अवस्थी ने इस कार्यशाला को विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी बताया और इस पद्धति को पूरे राज्यभर में अपनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. दीपक चंदवानी ने इस महत्वपूर्ण जानकारी को साझा करने और विद्यार्थियों को समृद्ध करने के लिए वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।