मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों से प्रेरणा लेकर अपने परिवार और समाज को आगे बढ़ाना चाहिए .... साध्वी श्वेताम्बरा
भरतपुर (कोश्लेन्द्र दतात्रेय)
सिद्ध श्री शनि मंदिर मुंडेसी पर शनि मंदिर ट्रस्ट तथा जन सहयोग से देश की खुशहाली तथा जनकल्याण के लिए भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा वाचन करते हुए साध्वी श्वेताम्बरा ने राम चरित्र का बहुत ही सरल और सहज भाषा में मार्मिक चित्रण किया। साध्वी ने भागवत कथा के दौरान बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम वास्तव में सामाजिक समरसता और सामाजिक सद्भाव के रूप में जाने जाते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जहां सत्य और धर्म की रक्षा के लिए दुष्टों का संहार किया वहीं उन्होंने अनीतिपूर्ण कार्यों के विरोध में युद्ध किया। साध्वी श्वेताम्बरा ने कहा कि हमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शो से प्रेरणा लेकर अपने परिवार और समाज को आगे बढ़ाना चाहिए। आज़ हमारे परिवार तथा समाज बहुत सी कुरीतियां और विषमताएं पैदा हो गई हैं, इनको दूर करने के लिए भगवान श्रीराम के आदर्शो को अपनाने से सफलता मिलेगी। भगवान श्रीराम ने जहां सामाजिक समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए शबरी के झूठे बेर खाए तो गंगा पार करते समय मल्लाह केवट को भी गले लगाया। बाली के अन्याय से सुग्रीव को निजात दिलाई तो राक्षसों का भी संहार किया।
साध्वी ने बताया कि आज़ आवश्यकता है कि देश में व्याप्त अराजकता को दूर करने के लिए रामचरितमानस से प्रेरणा लेकर इसके आदर्शों को अपनाएं और अपने परिवार तथा समाज में लागू करें। कथा सुनने आने वाली महिलाओं से आग्रह किया कि माता सीता के आचरण और पतिव्रता धर्म को अपनाकर ही हम खुद और परिवार को सुखी बना सकते हैं और इसी से समाज में सुधार आएगा। स्वामी विजयानंद सरस्वती महाराज ने कथा सुनने वाले श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए धर्म के रास्ते पर चलने और समाज में एक दूसरे का सहयोग करने की अपील की। महाराज ने बताया कि यह भागवत कथा समाज में व्याप्त कुरीतियों और अराजकता को दूर करने में सफल होगी ऐसा मेरा विश्वास है। प्रतिदिन भागवत कथा समाप्त होने पर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
महंत नानक गिरि जी के सानिध्य में प्रतिदिन भागवत कथा के बाद शनि मंदिर पर सत्संग का आयोजन किया गया, जिसमें संतों के साथ साथ पंडित निरंजन शर्मा, द्वारिका प्रसाद शर्मा, विजयकांत शर्मा, लाल सिंह, हरेंद्र सिंह, राधारमण शर्मा इत्यादि द्वारा भाग लेकर सत्संग को सफल बनाया गया। गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व के पावन अवसर पर समापन समारोह आयोजित किया गया जिसमें गुरु दक्षिणा कार्यक्रम आयोजित किया गया और समापन के बाद सभी भक्तों को भोजन प्रसादी वितरण की गई।