धनावता में भगवान शिव मंदिर का प्राचीन मंदिर साढे सोलह सौ वर्ष पहले नाम पड़ा खानेश्वर, 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह भगवान शिव के साथ माता पार्वती, कार्तिक की प्रतिमा नही
उदयपुरवाटी (सुमेर सिंह राव ) उदयपुरवाटी कस्बे से सैकड़ों वर्षो पहले आबाद धनावता गांव में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है जो खानेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध है। शिव मंदिर के पास स्थित काली डूंगरी में तांबा निकालने के लिए 52 खदाने थी। ये खदाने साढे सोलह सौ वर्ष पहले ढह गई थी। उसके बाद से ही धनावता में स्थित भगवान शिव के मंदिर को खानेश्वर के नाम से जाना जाता है। खानेश्वर धाम में भगवान शिव की सेवा में मंदिर के पूूजारी शंकरदास के अनुसार माता सती के योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म करने के बाद माता पार्वती से विवाह से पहले भगवान शिव ने यहां आराधना की थी। 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह खानेश्वर में भी माता पार्वती और कार्तिक की कोई प्रतिमा नहीं है। मंदिर में शिवलिंग साथ शेषनाग, नंदी और गणेश की प्रतिमा विराजमान है। खानेश्वर का शिवलिंग कितना प्राचीन है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि शिवलिंग पर टपकने वाली पानी बूंदों से शिवलिंग में तीन इंच गहरा गड्ढा हो गया है। साढे सोलह सौ वर्ष पूर्व पास में स्थित काली डूंगरी में खाने ढह जाने के बाद से ही शिव मंदिर को खानेश्वर नाम से जाना जा रहा है। खानेश्वर शिवमंदिर सतयुग काल से होने से शिव भक्तों में गहरी आस्था है। धनावता में स्थित शिव मंदिर खानेश्वर प्राचीन होने पर दो साल पहले प्रवासियों, स्थानीय लोगों के सहयोग से सवा करोड़ की लागत से मंदिर का जीर्णोधार करवाया गया। मंदिर परिसर में पार्क विकसित कर ओपन जीम लगाई गई है। अरावली की पहाडिय़ों की गोद में स्थित खानेश्वर धाम जीर्णोधार के बाद एक नए स्वरूप में नजर रहा है।