किसान फड़का रोग से परेशान, कर्षि विभाग का ढुलमुल रवैया

बेबस किसानों को नही मिल रहा कर्षि विभाग का उचित सहयोग

Aug 31, 2024 - 14:08
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किसान फड़का रोग से परेशान, कर्षि विभाग का ढुलमुल रवैया

 दलेलपुरा (सुमेरसिंह राव) तहसील खेतड़ी जिला नीमकाथाना में इस साल इंद्र देव खुश हुए और पूरे अगस्त महीने में  बारिस होती रही जो फसल के लिए बहुत ही  उपयुक्त  तथा मौषम भी फसल के बढ़ने के अनुकूल रहा । इन सब अनुकूल परिस्थितियों के वावजूद  कर्षि विभाग की उदासीनता के चलते फड़का रोग फसल को बर्बाद कर रहा है और किसानों के आँखों मे बेबसी के अशुओँ के अलावा कोई चारा नही है।

दलेलपुरा के जागरूक किसान कैप्टन राम निवास ताखर ने बताया की मौषम की अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी किसान कर्षि विभाग की उदासीनता का शिकार हो रहा है। इन्होंने बताया कि आज से ठीक डेढ़ महीने पहले  जब फड़का रोग सुरु ही हुआ था तब कर्षि विभाग को लिखित में सूचना (ज्ञापन) देने के बावजूद किसान आज परेशान है और उसका दर्द सुनने वाला कोई नही है। सरकार करोड़ो रूपये किसानों के लिए खर्च करती हैं लेकिन कर्षि विभाग में बैठे अधिकारियों की उदासीनता व जटिल प्रकिया की वजह से उसका लाभ किसानों तक नही पहुँच पाता। 

 कै टिड्डी   कै  कातरो ,  कदे  गुलाबी  लट्ट | तोड़ै कमर किसान री,फसलां करज्यै चट्ट ||

स्प्रे  अठारा  भांत  की और भांत  भांत  का रोग | सासन सूत्यो नींद मै, कर के शुखसुविधा को भोग ।

न शासन की नीद खुली और न जग्या अधिकारी। किसान बिचारा रो रिया और बालक मार् किलकारी।

जब किसानों ने कर्षि विभाग को डेढ़ महीने पहले फड़का रोग के बारे में बताया तो उन्होंने पहले तो सर्वे करवाने के लिए कहा । जब किसान सर्वे के लिए तैयार हुए तो कहा कि सर्वे के साथ  किसानगोष्ठी के लिए करवाओ। 18 जुलाई 2024 को दलेलपुरा पंचायत भवन में किसानगोष्ठी  हुई और श्रीमाधोपुर से कर्षि विभाग के अतिरिक्त निदेशक कर्षि अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ आये। जब किसानों ने उनको फड़का रोग व खाद बीज की समस्या बताई तो उन्होंने फड़का रोग की दवाई छिड़काव के लिए कहा तथा उसपर मिलने वाली सब्सिडी की नामुमकिन सी जटिल प्रकिया बताकर खाना पूर्ति की। कर्षि विभाग ने किसानों को मिलने ववाली सब्सिडी की प्रकिया इतनी जटिल बनारखी है जिस से किसानों को उसका फायदा नही मिल पाता और किसान मजबूरन बाजार से दवाई लेकर छिड़कने को मजबूर हो जाता है।  जब हर ग्रामपंचायत पर कर्षि पर्वेक्षक है और जीएसएस (सहकारी समिति) बने हुए है तो क्यों किसान बजार से खाद बीज व किटनासक खरीदने को मजबूर है। यदि कोई जागरूक किसान अपने खेत में छिड़काव कर भी ले तो  उस किसान को उस छिड़काव का कोई फायदा नही होता क्योंकि 5-10 दिन बाद पड़ोस वाले खेत के फड़के वापिस आजाते है।  
आज बेबस किसान सरकार व कर्षि विभाग के अधिकारियों से माँग करता है कि समय पर किसानों की मदद की जाए तथा आनेवाली रबी फसल के लिए समय पर किसानों को खाद बीज उपलब्ध करवाया जाए ताकि किसान व किसानी बची रहे वरना वो दिन दूर नही जब किसान खेती छोड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे जो न तो देश हित मे है और न ही किसानों के हित में।

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