दीवाली नजदीक पर बाजार में पसरा है सन्नाटा
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) कमलेश जैन
दीवाली के त्योहार पर लोग ज़्यादा ही उत्साही है। वहीं कस्बे के हालात एकदम उल्टे हैं।दशहरा बीत चुका है और दीपों के त्योहार दिवाली में भी अब कम ही समय हैं, लेकिन बाजारों से रौनक गायब है। पिछले साल तक लोग इसी अवधि में बाजारों में खूब खरीदारी करते नजर आते थे, चाहे वह फर्नीचर इलेक्ट्रिकल्स आइटम ही क्यों ना हो। छोटे कारोबारी भी अच्छी कमाई कर लेते थे। लेकिन इस साल, महंगाई की मार एवं किसानों को बेमौसम की बरसात ऑनलाइन खरीद के सामने का असर कारोबार पर स्पष्ट रूप से दिख रहा है।
दीवाली का त्योहार अक्टूबर महीने के अंत के सप्ताह से धनतेरस के साथ शुरू होने वाला है। बाजार सजने शुरू हो गए हैं । दीपावली आने में एक पखवाड़े से कम समय ही रह गया है। लेकिन यहां सजे बाज़ारों में अभी तक ग्राहक ही नहीं पहुंच रहे तो दुकानदार मायूस नजर आ रहे हैं।
बाज़ारों में सन्नाटा क्यों पसरा हुआ है एक तो किसान वर्ग को अबकी बार मौसम की मार किसानों पर पड़ी तो इसका सीधा असर व्यापार पर पड़ रहा है।अभी चिंता की बात यह है कि स्थानीय व्यापारियों ने दीवाली पर अच्छे कारोबार की उम्मीद से सामान स्टॉक कर लिया है, सामान भी दुकानों या गोदामों में ही रखा है। स्थिति यह है कि स्थानीय बाजार में निकलो तो लगता है कि मंदी का दौर छाया हुआ है।
मौसम की मार किसानों पर पड़ी, तो इसका सीधा असर व्यापार पर पड़ा मौसम के कारण बदहाली के शिकार किसान दीवाली पर हाथ खोलने के मूड की स्थिति में नहीं है, खरीदारी के लिए बाज़ार में नहीं पहुंच रहे। कारण ऑनलाइन शॉपिंग से स्थानीय व्यापारियों की प्रतिस्पर्धा ही समस्याओं से जूझना बताया जा रहा है।
बिन मौसम की बरसात ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया। इससे बाज़ार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हर साल दीपावली के दौरान जहां गांवों से किसान लाखों रुपये की खरीदारी के लिए शहरो में आते थे, परेशान दुकानदार खरीदारी पर आस लगाए बैठे हैं कि शायद पारंपरिक मान्यताओं के बूते ही धनतेरस के नजदीक ही कुछ चमत्कार हो जाए और ग्राहकों की भीड़ बाजार में उमड़े ।
ऑनलाइन शॉपिंग एवं महंगाई लोकल व्यापार को खासा प्रभावित कर रही है। और लक्ष्मणगढ़ कस्बा भी इससे अछूता नहीं है।ऑनलाइन ट्रेंड भी बढ़ रहा है यही कारण है कि दुकान लगाकर बैठा स्थानीय व्यापारी चिंतित है। व्यापारियों ने बताया ऑनलाइन शॉपिंग में डिस्काउंट का लालच होता है। फिलहाल बाज़ारों में मंदी का दौर छाए रहने से व्यापारी वर्ग मायूस है।