मीणा समाज की महिला पंचायत में सामाजिक सुधार के कई फैसले लिए,सैकड़ों महिलाएं पारम्परिक वेशभूषा में लोकगीत गाते हुए पंचायत में पहुँची
जयपुर (सुमेर सिंह राव)
जयपुर में जवाहर सर्किल के पास इन्द्रलोक गार्डन में आदिवासी मीणा महिला विकास संघ के बैनर तले राजस्थान के जयपुर, अलवर, सीकर, नीमकाथाना, झुंझुनूं, दौसा, भरतपुर, करौली, सवाईमाधोपुरटोंक, जैसलमेर, कोटपूतली बहरोड़, कोटा, बूंदी, उदयपुर जिलों के अतिरिक्त दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश राज्यों से पारम्परिक वेशभूषा में सैकड़ों महिलाओं की उपस्थिति में मीणा समाज के इतिहास में पहली महिला पंचायत आयोजित हुई । प्रकृति पूजक मीना समाज की महिला पंचायत की शुरुआत समाज के महापुरुषों, वर्तमान के शिल्पकारों के फ़ोटो तथा खेजड़ी के पेड़ के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजली से की गई। प्रदेश संरक्षक एवं जनाना हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. कुसुमलता मीणा की अध्यक्षता में हुई । महिला पंचायत में सर्वससम्मति से जन्म, परण और मरण संस्कारों से जुड़े कई कुरूतियों पर प्रतिबंध का निर्णय लिया गया, वैज्ञानिक तर्कों से अंधविश्वासों एवं पाखंड पर रोक लगाकर शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए समझाइस की गई, पति पत्नी को एक दूसरे का पूरक बताते हुए अहम त्यागकर आपसी समझ, विश्वास व सामंजस्य से वैवाहिक संबंधों के निर्वाहन की समझाइश की गई तथा आदिवासी मीना सेवा संस्थान झुंझुनूं के वीरेन्द्र मीना तथा रामनिवास मीना द्वारा वैवाहिक विवाद मामले में अलग-अलग एवं दोहरे फैसले से महिला का उत्पीड़न करने तथा फैसले एवं मीडिया में अमर्यादित भाषा व आपत्तिजनक टिप्पणी पर गहरी नाराजगी जताते हुए कड़े शब्दों में निंदा प्रस्ताव पारित किया तथा उस विवादास्पद फैसले को निरस्त करने की माँग की।
महिला संघ प्रदेशाध्यक्ष मंजू जेफ़ ने पंचायत के सर्वसम्मत निर्णयों के बारे में बताते हुए कहा कि दशोटन/छुछक, दहेज़प्रथा तथा सामाजिक आयोजनों में शराब उपलब्ध कराने पर पूरी तरह प्रतिबंध के निर्णय के साथ ही फिजूलखर्ची पर रोक के लिए सामाजिक समारोह के भोजन में व्यंजनों की अधिकतम संख्या 11 से ज्यादा नहीं रखने तथा बफ़र की जगह बैठकर भोजन का निर्णय लिया गया। मृत्यु के बाद शीशी पूजन पर केवल स्वर्गवासी पुरूष के ससुराल और स्वर्गवासी महिला के पीहर पक्ष से केवल एक ही जोड़े के कपड़े लेने का निर्णय लिया गया है। मृत्युभोज पर पूरी तरह रोक लगाने के साथ ही छमाही अथवा बरसी पर बड़े भोज को मृत्यभोज ही मानते हुए उस पर पूरी तरह रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। पंचायत में विवाह में वधु को स्त्रीधन के रूप में दिए जाने वाले गहने तथा वर को अंगूठी को छोड़कर किसी भी प्रकार के आभूषण, नगदी, कार, प्लाट को दहेज़ मानते दहेज वाली शादी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया । महिला संघ की सभी पदाधिकारियों ने पंचायत में लिए गए सभी निर्णयों को अपने घर-परिवार से लागू करने की शपथ लेकर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया । सामाजिक संगठनों को वैवाहिक विवादो की आदिवासी परम्परा से सुनवाई सक्षम एवं अनुभवी महिला काउंसलर की उपस्थिति में करने में ही सलाह दी गई तथा महिला काउंसलर की अनुपस्थिति में लिए जाने वाले फैसले को नहीं मानने का निर्णय लिया गया । पंचायत में प्रकृति संरक्षण में वृक्षारोपण अभियान चलाने तथा आदिवासी समाज की ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण संकल्प पारित किया।
वक्ताओं में प्रोफेसर एवं आदिवासी समुदाय लेखिका हीरा मीना ने आदिवासी संस्कृति के संरक्षण पर, डॉ. आरती मीना ने बालिका शिक्षा तथा सरकारी योजनाओं पर, प्रदेश संरक्षक डॉ कुसुमलता मीना ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर, डॉ. सुमन मीना ने महिलाओं के आत्मनिर्भर एवं स्वरोजगार पर, विमला मीना सह-आचार्य ने शिक्षा के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अंधविश्वास मुक्त समाज निर्माण पर, मनीषा ब्याडवाल ने महिला और पुरूष एक दूसरे के पूरक सिद्धान्त से दाम्पत्य जीवन पर, प्रदेशाध्यक्ष मंजू मीना जेफ़ ने जन्म-परण-मरण संस्कारों से जुड़ी कुरूतियों पर, सीमा मीना प्रिंसिपल ने सामाजिक संगठनों में महिलाओं की भूमिका पर, डॉ. सुनीता मीना प्रिंसिपल ने अमर्यादित पहनावे, अभद्र रील तथा फुहड़ गानों पर डांस पर, ममता मीना ने महिला उत्पीड़न पर, जयपुर जिला संरक्षक मुन्नीदेवी मीना ने सामाजिक न्याय पर, आरती मीना ने नशामुक्ति पर, प्रदेश सलाहकार डॉ. अंजू मीना ने आत्मविश्वास की मजबूती पर, अनीता कटकड़ ने बच्चों में संस्कार एवं डिप्रेशन पर प्रभावी एवं निर्णायक पक्ष रखा ।
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुमित्रा भगोट ने बताया कि महिला संघ ने प्रथम चरण में कुछ कुप्रथाओं, कुरीतियों, बुराइयों के उन्मूलन के निर्णय लिए है तथा जल्द ही दूसरे जिलों की पंचायतों में अन्य बुराइयों व समस्याओं के स्थायी समाधान के निर्णय लिए जाएंगे और उनको जमीनी स्तर पर सख़्ती से लागू कराने का अभियान चलाया जाएगा । प्रदेश संगठन सचिव ममता मीना ने सभी का आभार व्यक्त किया। पंचायत के बाद सभी महिलाओं ने सामुहिक भोजन के साथ ही क्षेत्रीय लोकगीतों पर नृत्य का जमकर लुफ़्त उठाया।