अमित शाह केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा संसद में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बडेकर के प्रति टिप्पणी करने को लेकर ज्ञापन सौंपा

Dec 25, 2024 - 17:58
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अमित शाह केन्द्रीय गृह मंत्री  द्वारा संसद में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बडेकर के प्रति  टिप्पणी करने को लेकर  ज्ञापन सौंपा

भिवाड़ी (मुकेश कुमार)

 भिवाड़ी के समीप टपूकड़ा कस्बे में मेघवाल विकास समिति टपूकड़ा व अम्बेडकर विकास समिति टपूकड़ा के पदाधिकारी/कार्यकर्ता तथा सर्वसमाज के अंबेडकरवादी द्वारा टपूकड़ा मैंन बाजार में आक्रोश रैली निकालकर टपूकड़ा एसडीएम कार्यालय पहुंचकर गृहमंत्री मंत्री अमित शाह का पुतला फूंका व महामहिम राष्ट्रपति के नाम टपूकड़ा एसडीएम प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा कि संसद के पवित्र सदन में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिनांक 17 दिसंबर 2024 को डॉ० भीमराव अंबेडकर के संदर्भ में दिया गया बयान कि "अभी एक फैशन हो गया है, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, इतना नाम अगर भगवान का लेते तो 7 जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता," न केवल आपत्तिजनक व निंदनीय है, बल्कि यह भारतीय संविधान के शिल्पकार बाबा साहेब डॉ० अम्बेडकर के प्रति गंभीर अनादर और समाज के वंचित वर्गों के प्रति अपमान को दर्शाता है।
डॉ० अम्बेडकर न केवल एक महापुरूष है, बल्कि उनके विचार और कार्य भारतीय समाज की आत्मा हैं। उनका योगदान केवल वंचित वर्ग के लिये ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए समर्पित है। संसद के पवित्र मंच से अमित शाह ने ऐसे बयान देकर न केवल डॉ० अम्बेडकर का अपमान किया है, बल्कि संविधान और उसमें निहित समानता, गरिमा एवं अधिकारों की भावना को भी ठेस पुहंचाई है। अमित शाह का इस तरह का विवादित वक्तव्य संवैधानिक प्रावधानो भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को "समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य" घोषित किया गया है, जिनमें सभी नागरिको को न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुता का वादा किया गया है। ऐसे बयान इन मूल्यों के खिलाफ है। अनुच्छेद 51ए (ई): यह सभी नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है कि वे भारत की समृद्ध विरासत का सम्मान करें और बनाए रखें। बाबा साहेब डॉ० भीमराव अम्बेडकर इस विरासत के प्रमुख स्तंभ है।. संसद जैसे संवैधानिक मंच से दिये गये इस तरह के बयान अनुच्छेद 19 (2) के तहत "सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता" का उल्लंघन करते है। यह बयान भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 295ए के तहत सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के समान भी देखा जा सकता है।
डॉ० अम्बेडकर का सम्मान करना केवल एक समुदाय का दायित्व नही हैं, बल्कि यह हर भारतीय का कर्तव्य है। ऐसे बयान समाज में विभाजन और अंसतोष को बढ़ावा देते है और भारत के लोकतांत्रित मूल्यों के लिये खतरनाक है। हम आपसे आग्रह करते है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुये उचित कदम उठाए जाएं।बाबा साहेब डॉ० भीमराव अम्बेडकर का नाम लेना कोई "फैशन" नहीं, बल्कि समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक परिवर्तन की उस क्रांति का प्रतीक है, जिसने करोड़ो दबे-कुचले लोगो को न्याय और अधिकार दिलाए। डॉ० अम्बेडकर को भगवान के नाम तुलना उनकी विचारधारा की गहराई और संविधान निर्माण में उनके योगदान को कमतर आंकने का कुल्सित प्रयास है। यह न केवल असंवेदनशीलता, बल्कि सामाजिक एकता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अनादर का परिचायक है। भारत रत्न बाबा साहेब डॉ० भीमराव अंबेडकर को मानने वाले इस अपमान का बला अपने मताधिकार से जरूर लेंगे नही तो माफी मांगे गृह मंत्री अमित शाह। यदि माफीन नही मांगी जाती है, तो उन्हे उनके पद से तुंरत हटाया जाए, क्योंकि ऐसे बयान उनके पद की गरिमा और जिम्मेदारियों के विपरित है। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष मेघवाल समाज मोहर सिंह ग्वालदा, मेघवाल समिति टपूकड़ा अध्यक्ष रघुवीर तंवर, राजेन्द्र सिंह खोहरी, बलवंत, विष्णु ग्वालदा, कपिल मीठियावास, विनोद माजरा, राधेश्याम आदि सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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