कपास उत्पादन में भीलवाड़ा के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर को विशिष्ट योगदान के लिए किया गया सम्मानित

गुरला: (बद्रीलाल माली) मेवाड़ अंचल में चल रही भारत सरकार द्वारा प्रायोजित सिटी कॉटन डेवलपमेंट एंड रिसर्च एसोसिएशन की कपास परियोजना जो की भीलवाड़ा राजसमंद चित्तौड़गढ़ जिले में कार्यरत है। पी एन शर्मा पूर्व उपनिदेशक कृषि इस परियोजना के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर हैं उनके विशेष प्रयासों से कपास का उत्पादन 1020 किलो रुई प्रति हेक्टेयर औसत होने से विशेष रूप से नागपुर में सम्मानित किया गया। यहां यह बताना उचित होगा कि वर्तमान में भारत की कपास की औसत उपज 461 किलो रुई प्रति हेक्टर है वही विश्व की औसत उपज 791 किलो रूई प्रति हेक्टर है। विश्व की औसत उपज से भी कहीं ज्यादा प्रति हेक्टेयर पैदावार बढाना राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र को गौरव प्रदान करता है।
पी एन शर्मा को सम्मानित करते समय डॉक्टर वाइ जी प्रसाद निर्देशक केंद्रीय कपास अनुसंधान शाला नागपुर, निर्देशक डा बाघमारे कपास विकास निदेशालय भारत सरकार नागपुर, शेखर मेहरा अध्यक्ष सिटी,डा सी डी माई पूर्व निदेशक केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान नागपुर, अध्यक्ष राजकुमार पूर्व अध्यक्ष सिटी, श्रीमती चंद्रमा बनर्जी सेक्रेटरी जनरल सिटी, दिलीप ठाकरे अकोला कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
शर्मा ने बताया कि भीलवाड़ा परियोजना ही एक ऐसी परियोजना है जहां शत प्रतिशत आर्थिक स्थिति से पिछड़ी हुई महिलाओं का ही चयन किया गया। विशेष कर फसल में कीटनाशक का प्रयोग उपलब्ध साधनों से बनाकर खर्चों में कटौती की गई। देश में प्रथम बार माइकोराइजा जो की जैविक फफूंदी का खाद है का प्रयोग कर वा कर उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की। इसके परिणाम देखे हुए इस रबी फसल में राजस्थान के कृषि विभाग ने किसानों को माइकोराइजा अनुदान पर उपलब्ध कराया। मेवाड़ क्षेत्र के लिए उत्पादन में आशातीत कपास की उपज में वृद्धि गौरव का विषय है।






