अलवर में खुला राजस्थान का पहला साइलो गेहूं भंडारण केंद्र

अलवर / कमलेश जैन :- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई )में आने वाला गेहूं अब खराब नहीं होगा, क्योंकि अब साइलो में गेहूं का तीन साल आसानी से भंडारण किया जा सकेगा। अभी तक एफसीआई के पास भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश एवं आंधी तूफान में गेहूं को सुरक्षित रखना चुनौती था। अब अलवर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश का पहला साइलो शुरू हो चुका है।इसमें 75 हजार मीट्रिक टन गेहूं का आसानी से भंडारण किया जा सकेगा। हालांकि अभी अलवर में स्थापित साइलो अकेला है, लेकिन आगामी दिनों में प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर छह और साइलो की स्थापना की योजना है।
एफसीआई के डिपो मैनेजर करणसिंह मीणा ने बताया कि अलवर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 9 एकड़ क्षेत्र में अनाज भंडारण केंद्र साइलो की शुरुआत की गई। इसमें विभिन्न मंडियों से आने वाले गेहूं रखा जाएगा। इससे पहले एफसीआई के खुले गोदामों में गेहूं को स्टोर करना पड़ता था।अब साइलो में 75 हजार मीट्रिक टन अनाज भंडारण हो सकेगा। इसमें सबसे पहले अलवर के आसपास की 10 अनाज मंडियों के गेहूं का भंडारण किया जाएगा।इसके बाद भरतपुर, धौलपुर, करौली के साथ पंजाब एवं हरियाणा से आने वाले गेहूं का भी भंडारण किया जा सकेगा।अलवर के ट्रांसपोर्ट नगर में करीब 9 एकड़ जमीन पर करीब 250 करोड़ की लागत से यह साइलो केन्द्र बनाया है। साइलो में गेहूं का भंडारण एवं संरक्षण आधुनिक पद्धति से हो सकेगा।
साफ गेहूं का ही भंडारण: एफसीआई के डिपो मैनेजर मीणा ने बताया कि साइलो में साफ गेहूं का ही भंडारण होगा। यहां आने वाले गेहूं की जांच की जाएगी। जांच में खरे उतरे गेहूं को सीधा कंवेयर बेल्ट के माध्यम से साइलो भेजा जाएगा। यदि आने वाला गेहूं साफ नहीं हो तो इसे कंवेयर बेल्ट के माध्यम से प्रोसेस टावर में भेजा जाएगा। शप्रोसेस टावर में गेहूं से धूल, मिट्टी, कंकड़ आदि कचरे को एयर कंप्रेशर से साफ किया जाएगा। बाद में गेहूं को साइलो में भेजा जाएगा। साइलो में कम्प्यूटर आधारित उपकरण लगे हैं। इससे इसका तापमान करीब 28 डिग्री रखा जाता है।नमी की मात्रा 12 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होने दी जाती है ।
धातु का बड़ा टैंक होता है साइलो: साइलो स्टील का बड़ा टैंक रूपी ढांचा होता है। यह अनाज भंडारण की नई और आधुनिक तकनीक है। धातु के इन बड़े टैंकों में अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। अलवर में स्टील धातु के 6 बड़े टैंक बनाए गए हैं। इनमें प्रत्येक में 12 हजार 500 मीट्रिक टन गेहूं का भंडारण किया जा सकता है। एफसीआई मैनेजर मीणा ने बताया कि तीन बल्क साइलो और चार बैंगिंग साइलो भी बनाए गए हैं। इनकी क्षमता 50—50 मीट्रिक टन है।
ढाई साल में तैयार: मीणा ने बताया कि अलवर में साइलो ढाई साल में बनकर तैयार हुआ है। इसे हैदराबाद की कम्पनी ने बनाया है. इसमें 15 लाख बोरियों का स्टॉक हो सकेगा। तीन साल तक अनाज खराब नहीं होगा। साइलो बनने से अलवर में 91 हजार 700 मीट्रिक टन गेहूं का भंडारण हो सकेगा। इसमें 75 हजार साइलो और 16 हजार 700 मीट्रिक टन एफसीआई के पक्के गोदाम में भंडारण हो सकेगा। अलवर में साइलो की शुरुआत होने के साथ ही सरकार की श्रीगंगानगर, जोधपुर, उदयपुर, हनुमानगढ़, बीकानेर में भी साइलो बनाने की योजना है।






