दलेलपुरा कैप्टन ताखर ने किसानों की बीज वितरण व अन्य समस्याओं को लेकर किसान आयोग के अध्यक्ष महादेव सिंह खंडेला को सौंपा ज्ञापन
झुन्झुनू (सुमेर सिंह राव)
झुन्झुनू जिले के गाँव दलेलपुरा के समाजसेवी व प्रदेश भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति के अध्यक्ष कैप्टन राम निवास ताखर के साथ एक प्रतिनिधि मंडल राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष श्री महादेव सिंह खंडेला से मिला तथा अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसानों को बीज विरतण में हो रही धांधली व अन्य समस्याओं के बारे में ज्ञापन शोपा । ज्ञापन में कैप्टन ताखर ने लिखा कुछ लापरवाह व निकम्मे अधिकारियों की वजह से किसानों को हो रहा भारी नुकसान । चने की बुवाई के बाद वितरित कर रहे चने का बीज । आगे से किसानों को मिले समय पर उन्नत किस्म बीज ताकि किसान नही हो निराश । किसान बचेगा तो ही देश व प्रदेश बचेगा ।
किसानों के साथ हो रही नाइंसाफी को लेकर प्रदेश भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति सचिव व समाजसेवी व इंसानियत ग्रुप के संस्थापक कैप्टन रामनिवास ताखर (सेवानिवृत्त ) के साथ डॉ जवाहर सिंह गोड़ावास, समाजसेवी मदन लाल भावरिया पचलंगी, दलेलपुरा सरपंच प्रतिनिधि चरण सिंह तेतरवाल व डॉ रामोतार गजराज चला ने राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष व खंडेला के विधायक श्री महादेव सिंह खंडेला को ज्ञापन सौंपा l ज्ञापन में लिखा है कुछ लापरवाह व निकम्मे अधिकारी न तो समय पर किसानों को खाद बीज उपलब्ध करवाते है और यदि कि किसानों को समय पर बीज उपलब्ध हो भी जाये तो पूरी तहसील में एक या दो बीज वितरण केंद्र बनाते है ताकि किसान को समय पर बीज मिले ही नही और मील तो जितने का बीज नही मिलता उसे ज्यादा तो किसान को बीज के लिए आने जाने में किराया लग जाता है और पूरे दिन का काम बर्बाद हो सो अलग । इसलिए समय पर बीज उपलब्ध करवाया जाए l इसके अलावा हर ग्राम पंचायत में कर्षि पर्वेक्षक व ग्राम सहकारी समिति में व्यवस्थापक है उनके माध्यम से हर ग्रामपंचायत पर बीज सेंटर खोला जाए ताकि किसानों को इधर-उधर भटकना ना पड़े l
कैप्टन ताखर ने ज्ञापन में लिखा कि राजस्थान सरकार में एक कृषि विभाग है जिसको चलाने की जिम्मेदारी एक केबिनेट मंत्री की होती है । उनके नीचे कृषि राज्य मंत्री, कृषि सचिव, अतिरिक्त सचिव, उपसचिव सहित कई भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी व राजधानी से लेकर जोन, जिला, उपजिला और तहसील स्तर पर कृषि अधिकारियों की लंबी चौड़ी फौज होती है। इनके वेतन, भत्ते , गाड़ी, आफिस व अन्य सुविधाओं पर हर साल अरबों रुपये खर्च होते हैं, जो राजस्थान की जनता की गाढ़ी कमाई (टेक्स) से राज्य सरकार इनके वेतन भत्ते व सुख सुविधाओं पर खर्च करती है । ये अधिकारी बड़े बड़े एसी आफिस में बैठ कर अन्नदाता का भाग्य लिखते(योजनाएं बनाते) हैं। इनकी जिम्मेदारी है कि राजस्थान के अन्नदाता को कैसे सम्पन्न किया जाए, कैसे किसानों की आय बढाई जाए, कैसे किसानों की उपज बढ़े, कैसे किसानों की समस्याओं का निराकरण हो, कैसे किसानों को समय पर बीज, खाद व कीटनाशक उपलब्ध हों लेकिन दुर्भाग्य से कुछ लापरवाह व निकम्मे अधिकारियों की वजह से किसानों की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ जाती है ।
देश की जीडीपी में 18-20% प्रतिशत योगदान कृषि का होता है । जब कोरोना काल मे सब कुछ बंद हो गया था तब भी किसानों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर दिन रात मेहनत कर के देश को विकट परिस्थितियों में भी बदतर स्थिति में जाने से बचा लिया था । जो देश पूर्ण रूप से उद्योग धंधों पर आश्रित थे वे कोरोना काल में बर्बाद हो गये । लेकिन आज इन लापरवाह अधिकारियों की वजह से किसान अपनी किस्मत को कोस रहे हैं कि उनका जन्म किसान के घर मे क्यो हुआ ।
राजस्थान की जीडीपी में कृषि का 30% योगदान होता है । इस वर्ष के बजट में कृषि विभाग को 78 हजार 938 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ जो कुल बजट में 11.68% है । इसमें वेतन (राजस्व प्राप्तियों का 33%), पेंशन (राजस्व प्राप्तियों का 14%) तथा व्याज भुगतान (राजस्व प्राप्तियों का 15%) पर व्यय शामिल है । अब बचा 38 प्रतिशत उसमें भी इनके अलावा कृषि विभाग के अधिकारियों के आफिस का खर्चा , गाड़ियों का खर्चा, सेमीनार का खर्चा , कृषि अधिकारियों के विदेशी टूर का खर्चा , नए बीज के लिए शोध का खर्चा , कृषि फार्म हाउस जहाँ बीज तैयार किया जाता है उसका खर्चा, बीज का भंडारण तथा बीज को किसानों तक पहुंचाने में जो ट्रांसपोर्ट का खर्चा ये सब होने के बाद किसानों के लिए बजट में मुश्किल से 10-15% की राशि ही बचती है । किसान को यदि ये 10-15% हिस्सा भी मिल जाये तो किसान खुश है लेकिन इन लापरवाह व निक्कमे भ्रष्ट अधिकारियों के कारण किसानों तक बजट का 5-7% ही पहुँच पाता है जो बड़े ही सोचने, ध्यान देने वाला विषय है क्योंकि यदि किसान बचेगा तो ही देश बचेगा, यदि किसान नही बचा तो देश व प्रदेश बर्बाद हो जाएंगे।
सरकार चाहे बीजेपी की हो या कांग्रेस की इन लापरवाह व निकम्मे अधिकारियों का रवैया हमेशा एक जैसा ही रहता है और इनका खामियाजा भुगतते हैं बेबस,लाचार गरीब किसान। आज तक किसी भी सरकार ने इनके रवैए को बदलने की कोशिश नहीं की। यही वजह है कि आज किसानों की हालत बद से बदतर हो गई है और किसान आये दिन आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। कभी कोई छोटी मोटी शिकायत होती है तो जाँच के नाम पर लटका दी जाती है और कुछ दिन बाद उनके बड़े अधिकारी अधीनस्थ कर्मचारियों को एक नोटिस देकर मामला रफा दफा कर देते हैं, क्योंकि उन पर कार्यवाही इसलिए नहीं हो सकती कि उसमें इन छोटे कर्मचारियों का कोई खास दोष नहीं होता और इनकी आड़ में बड़े बड़े अधिकारी बच जाते हैं जो असली गुनहगार होते हैं। यही इन कमेटियों का और लोगों की शिकायत का हश्र होता है । ये कमेटियां इसलिए बनाई जाती हैं कि लोगों के उस समय के गुस्से के उबाल को ठंडा किया जा सके।
कैप्टन ताखर ने ज्ञापन में आगे लिखा कि में यहाँ जिक्र करना चाहूँगा इस साल की किसानों की सबसे बड़ी त्रासदी जिससे किसानों की कमर टूट गई और उस कोढ़ में खाज का काम किया इन लापरवाह व निकम्मे अधिकारियों ने। इस साल खरीफ की फसल जैसे ही पक कर तैयार हुई बेमौसमी बारिश ने पूरी पकी पकाई फसल को बर्बाद कर दिया । किसान का कोई नहीं ना राज और ना राम। किसानों ने अपने चेहरे की मायूसी को इस लिए छुपा लिया कि अपने भाग्य में ये ही लिखा है। जितना भाग्य में लिखा है उतना ही मिलेगा समझकर सन्तोष कर लिया और सोचा कोई बात नहीं इस बारिश से जो खरीफ की फसल बर्बाद हुई है तो भगवान इसकी भरपाई रबी की फसल में कर देगा, ये बारिश चने की बुवाई के लिए बहुत फायदेमंद थी क्योंकि इस बारिश से पूरे रकबे में एक साथ चने की अगेती बुवाई हो सकती थी और उसकी पैदावार भी बारिश के कारण अच्छी होती । लेकिन किसानों की इस आस पर पानी फेर दिया इन लापरवाह व निकम्मे अधिकारियों ने । जिन अधिकारियों पर किसानों को समय पर खाद बीज उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी थी उन्होंने किसानों को समय पर बीज ही उपलब्ध नही करवाया । किसान इन अधिकारियों से गुहार लगाता रहा कि हमे उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध करवाओ, लेकिन ये निकम्मे अधिकारी किसानों को झूठे आश्वासन देते रहे कि बीज आज आएगा - बीज कल आएगा । लेकिन बीज नहीं आया और किसान या तो बाजार से ऊंचे दामों पर बीज खरीदने के लिए मजबूर हुए और जो किसान बाजार से बीज नहीं खरीद सकता था उसने अपने या अपने पड़ोसी के घर में जो चना उपलब्ध था उसी को बो दिया। मजबूरी में बोए गए इस घर के बीज का पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा। इसकी पैदावार उन्नत बीज के बजाय आधी या उससे भी कम होगी। हमारे वैज्ञानिक बड़े परिश्रम व कई साल की मेहनत से उन्नत बीज तैयार करते हैैं जिसकी सामान्य बीज से दुगनी तिगुनी पैदावार होती है। इसका किसानों को फायदा तभी मिलता है जब ये समय पर किसानों को मिले और समय पर खेत मे बुवाई हो । इन लापरवाह व निकम्मे अधिकारियों की वजह से राजस्थान में चने की फसल में हजारों टन चने की पैदावार में कमी होगी और इसका खामियाजा भुगतेंगे लाचार व बेबस किसान । किसानों के इस नुकसान के लिए सीधे तौर पर ये अधिकारी गुनाहगार हैं ।
इस साल इस बेमोसमी बारिश से किसानों को जो नुकसान हुआ था उसकी भरपाई हो सकती थी लेकिन इन अधिकारियों ने किसानों के साथ ये घोर पाप व अन्याय किया है । मुख्यमंत्री महोदय, इतना अन्याय तो किसान सहन कर लेते क्योंकि इतना तो वो हर साल सहन करते हैं। इतना अन्याय सहन करने की तो मजबूरी में किसानों की आदत हो गई है लेकिन इन लापरवाह व निक्कमे अधिकारियों का असली खेल अब शुरु होता है । जब पूरे राजस्थान में चने की बुवाई पूरी हो गई तब ये भ्रष्ट निक्कमे अधिकारी अपना असली खेल शुरु करते हैं । चने बुवाई के बाद चने के बीज वितरण का ढोंग करते हैं । हर तहसील में एक दो बीज वितरण केंद्रों पर चने का थोड़ा- थोड़ा बीज भेजते हैं और अपने कर्मचारियों पर दबाव बनाते हैं कि ये बीज आपने किसानों को हर हालत में वितरित करना है । इसके साथ कुछ किसानों को 15 किलो चने का बीज मुफ्त देने की योजना बनाते हैं और साथ में किसानों को 30 किलो बीज 50 रुपये प्रति किलो प्रति एकड़ लेने के लिए मजबूर करते हैं । ये अधिकारी अपने कर्मचारियों पर ये भी दबाव बनाते हैं कि आप अपने व्यक्तिगत सम्बन्धों का हवाला देकर या किसी भी तरीके से इस बीज को वितरित करना है नहीं तो पूरे कृषि विभाग की पोल खुल जाएगी और फजीहत होगी सो अलग। यही हालात खरीफ की फसल बुवाई के समय भी थे जब बाजरा व मूंग की पूरी बुवाई हो गई उसके बाद कर्षि विभाग बाजरा व मूंग का बीज वितरित कर रहा था।
कैप्टन ताखर ने ज्ञापन में आगे बताया कि मुख्यमंत्री व कृषिमंत्री व किसान आयोग अध्यक्ष आपने तो खुद किसान के घर में जन्म लिया है, हमेसा किसानों के बीच रहे हो और आपसे ज्यादा किसानों की पीड़ा को कौन समझ सकता है । आप इसकी तह तक जाये और जो अधिकारी चने व अन्य बीज किसानों को पहुंचाने के काम मे लगे हुए थे उनमें से किस किस अधिकारी की वजह से किसानों के साथ ये घोर अन्याय व छलावा हुआ है उनकी जिम्मेदारी फिक्स की जाए और जो भी अधिकारी इस काम के लिए दोषी पाए जाते हैं उन अधिकारियों को बर्खास्त किया जाये ताकि दुबारा कोई लापरवाह व निकम्मा अधिकारी इन बेबस लाचार किसानों के साथ ऐसा पाप करने की हिम्मत ना कर सके ।
मुख्यमंत्री व कृषिमंत्री को भी भेजा ज्ञापन:-
कैप्टन ताखर ने पिछले सोमवार को जिला कलेक्टर झुन्झुनू के माध्यम से मुख्यमंत्री व कृषिमंत्री को भी ज्ञापन सोपा व आज किसान आयोग के अध्यक्ष को भी ज्ञापन देकर विशेष अनुरोध किया कि आगे से आप राजस्थान के किसानों के लिए अधिक पैदावारवाले उन्नत किस्म के बीज की व्यवस्था करवाकर कर्षि पर्वेक्षक या व्यवस्थापक के माध्य्म से खरीफ की फसल का बीज मई तक और रबी की फसल का बीज सितम्बर के महीने तक हर गांव या ग्रामपंचायत तक हर हाल में पहुंचाने का प्रबंध करवाए ताकि किसान फसल की बुवाई से पहले उन्नत किस्म का बीज ले सके और समय पर अपनी फसल की बुवाई कर सके।
प्रतिनिधिमंडल में सामिल डॉ जवाहर सिंह गोड़ावास, समाजसेवी मदन लाल भावरिया पचलंगी, दलेलपुरा सरपंच चरण सिंह तेतरवाल व डॉ रामोतार गजराज चला ने किसानों के समस्याओं की पुरजोर वकालत की और कहा कि महादेव सिंह जी आप किसानों के मुद्दे हमेशा उठाते रहे है और आज आप किसान आयोग अध्यक्ष है आप इन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ ऐसी कार्यवाही करो कि आगे से कोई अधिकारी ऐसी लापरवाही करने का दुस्साहस ना करे । डॉ जवाहर सिंह गोड़ावास ने जोर देकर कहा कि इन लापवाह व निकम्मे अधिकारियों के पापों की सजा किसान को भुगतनी पड़ती है। जब किसान ही नही रहेगा तो देश कैसे बचेगा ।
किसान आयोग के अध्यक्ष महादेव सिंह ने प्रतिनिधिमंडल की बात बहुत शालीनता से सुनी और तुरंत अधिकारियों को फोन लगाया और इस लापवाही के लिए पूछा कि आप ऐसी लापरवाही कैसे कर सकते है । आपको सरकार तनख्वाह इस लिए देती है कि आप किसानों की समस्याओं का निराकर करे और किसानों को समय पर खाद बीज उपलब्ध करवाए । हमारी सरकार ऐसी लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नही करेगी। आप अपने पूरे अधिकारियों को लेकर आज ही गाँव दलेलपुरा मे जाकर वहा के किसानों को संतुष्ट करे और आगे की कार्यवाही के लिए तैयार रहे ।
अंत ने प्रतिनिधिमंडल ने महादेव सिंह जी का किसानों की समस्याओं पर तुरंत एक्शन लेने के लिए धन्यवाद दिया और आभार प्रकट किया।