श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ सिरस आस्था की स्थली

Apr 22, 2024 - 11:25
Apr 22, 2024 - 16:57
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श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ सिरस आस्था की स्थली

- भगवान महावीर सहित 24 तीर्थकर विराजमान

- विश्व के प्रसिद्व जैन मन्दिरों की सूची में शामिल सिरस जैन मन्दिर

वैर भरतपुर। पूर्वी राजस्थान के भरतपुर जिले के उपखण्ड वैर के गांव सिरस में स्थित श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ देश-विदेश के जैन समुदाय का आस्था का केन्द्र है,जहां कलिकाल कल्पतरू भगवान श्री महावीर जी सहित जैन समुदाय के 24 तीर्थकर की प्रतिमाएं विराजमान है। जैन समुदाय के अलावा अन्य धर्म के लोग भी दर्शन को आते है,जिसमें जैन व हिन्दु समुदाय से वैश्य समाज अधिक आता है। ये मन्दिर जैन समुदाय के विश्व प्रसिद्व जैन मन्दिरों की सूची में शामिल है। मन्दिर करीब 2 हजार साल पुराना है। मन्दिर की देखभाल,निर्माण,जीर्णोद्वार, रखरखाव आदि व्यवस्था व अन्य कार्य के लिए श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ ट्रस्ट बना हुआ है। साल में एक बार जैन रथयात्रा मेला,अनेक उत्सव एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रम होते है। साल 2023 में जैन तीर्थ सिरस पर जैन समुदाय के 24 तीर्थकर की प्रतिमाएं स्थापित हुई,जिनका मई माह में पहली बार वार्षिकोत्सव मनाया जाएगा और 29 अप्रैल को भगवान श्री महावीर जी रथ मेला लगेगा।

- प्रजापत को मिट्टी की खुदाई में मिली प्रतिमा

सिरस के जैन मन्दिर में विराजमान भगवान कलिकाल कल्पतरू भगवान श्री महावीर जी की प्रतिमा को लेकर अनेक किदवंतियां है। जिनमें प्रजापत को मिट्टी की खुदाई में मिली प्रतिमाएं सर्वाधिक है। जैन समुदाय के लोग बताते है कि करीब 300 साल पहले सिरस गांव की एक प्रजापत महिला मिट्टी के वर्तन बनाने को पोखर से मिट्टी निकाल रही थी। जहां एक टीले पर एक गाय के चारों थनों से दूध की धार निकल रही थी ।उसे देख वह महिला लौट आई। रात्रि को उस महिला को सपना दिखाई दिया,जहां गाय के थनों से दूध निकल रहा था,उस टीले के नीचे एक प्रतिमा की झलक दिखाई दी। महिला ने रात्रि के सपना के दृश्य एवं गाय के थनों से दूध निकलने की बात गांव के लोगों को बताई। गांव के लोगों ने एकत्रित होकर टीले की खुदाई की,टीले के नीचे प्रतिमा मिली,जो प्रतिमा भगवान महावीर जी की निकली। ग्रामीणों ने प्रतिमा को एक चबूतरा का निर्माण करा कर विराजमान करा दिया और जैन समुदाय के लोग उसकी पूजा-अर्चना करते रहे।

- धन्धा का अभाव देख किया पलायन 

सिरस गांव में करीब 250 साल पहले तक जैन समुदाय के अनेक परिवार निवास करते,जिनका मुख्य कार्य व्यापार व कृषि था। इनका व्यापार देश-विदेश तक होता था। अकाल,सूखा व धन्धा कमजोर से परेशान होकर व्यापार के उद्देश्य से ये अन्य स्थान को पलायन कर गए और जहां भी गए वहां उनका व्यापार जम गया,वे उसी स्थान पर स्थाई निवासी हो गए। जो केवल सिरस गांव में मन्दिर के दर्शन करने आते है और कुछ दिन ठहराव कर वापिस यथा स्थान लौट जाते। वैर निवासी सतीश जैन ने बताया कि सिरस गांव प्राचीनकाल में जैन समुदाय का था,जहां भारी सख्यां में जैन परिवार रहते थे। आज भी जैन समुदाय के घर बने हुए है। ग्रामीणों के द्वारा कभी-कभी गांव में निर्माण कराने को खुदाई करते है,तो खुदाई में मन्दिर के पत्थर व प्राचीन ईंट आदि निकलते है और गांव के लोग आज भी सिरस गांव को जैन समुदाय का गांव बताते है।

- भाई-बहिन के प्रेम का प्रतीक 

गांव सिरस का जैन मन्दिर भाई-बहिन के प्रेम का प्रतीक कहलाता है,जिसका आज भी गुणगान होता है। संवत 1828 में भरतपुर रिसायत के तत्कालीन महाराजा के दीवान रहे अलवर जिले के गांव हरसाणा निवासी दीवान जोधराज पल्लीवाल की बहिन ब्याही थी,जो अपनी बहिन से सर्वाधिक प्रेम एवं लगाव रखते थे। एक बार दीवान पल्लीवाल गांव सिरस में अपनी बहिन से मिलने आए,जिन्होने बहिन की कृपा से भगवान श्री महावीर जी की प्रतिमा के दर्शन किए। बहिन ने भाई पल्लीवाल से चबूतरा के स्थान पर मन्दिर निर्माण का आग्रह किया। बहिन के आग्रह को स्वीकार कर भव्य मन्दिर का निर्माण कराया और भगवान श्री महावीर जी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई। आज भी जैन समुदाय व क्षेत्र के लोग पुराने जैन मन्दिर को भाई-बहिन के प्रेम वाला मन्दिर कहते है।

- जैन मन्दिर पर विराजमान प्रतिमाएं

ट्रस्ट के अध्यक्ष सुधीर जैन भिवाडी ने बताया कि सिरस जैन तीर्थ के भगवान श्री महावीर जी मन्दिर पर कलिकाल कल्पतरू भगवान श्री महावीर जी सहित जैन समुदाय के 24 तीर्थकर की प्रतिमाएं विराजमान है। 24 तीर्थकर ऋषभदेव , अजितनाथ , सम्भवनाथ , अभिनंनदन , सुमतिनाथ , पद्यमप्रभु , सुपाश्र्वनाथ , चन्दाप्रभु , सुविधिनाथ , शीतलनाथ , श्रेयांसनाथ , वासुपूज्य , विमलनाथ , अनंतनाथ , धर्मनाथ , शान्तिनाथ , कुंथनाथ , अरनाथ , मल्लिनाथ , मुनिसुव्रत , नमिनाथ , अरिष्टनेमि , पाश्र्वनाथ की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा है।

- जैन रथ मेला कार्यक्रम

श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष सुधीर जैन भिवाडी,मंत्री रिखवचन्द जैन जयपुर एवं कोषाध्यक्ष विमल चन्द जैन हिण्डौन ने बताया कि श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ ट्रस्ट एवं जैन समुदाय की ओर से गांव सिरस के मन्दिर पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम होते है,लेकिन वैशाख वदी पंचमी के दिन प्रति साल मेला लगता है। जिस दिन रथयात्रा निकाली जाती है और अनेक कार्यक्रम आयोजित होते है। वैशाख वदी पंचमी के दिन दीवान जोधाराज पल्लीवाल बहिन से मिलने रथ से आए। जिनकी यादगार में प्रतिवर्ष रथ मेला लगता है। जिसमें राजस्थान,गुजरात, उत्तरप्रदेश, दिल्ली,महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,हरियाणा आदि प्रान्त से जैन समुदाय के लोग आते है। उन्होने बताया कि गांव सिरस जैन तीर्थ स्थित कलिकाल कल्पतरू श्री महावीर स्वामी सिरस धाम पर 29 अप्रेल का भव्य वार्षिक मेला आयोजित होगा। मेले के दिन सुबह 7 बजे से नवकारशी,सुबह 9 बजे भगवान कलिकाल कल्पतरू श्री महावीर स्वामी की पूजा.अर्चना,रथ यात्रा की बोली,सुबह 11 बजे से स्वामी वात्सल्य, दोपहर 12बजे रथयात्रा,यात्रा के बाद माला की बोली आदि कार्यक्रम होंगे। उन्होने बताया कि सिरस जैन तीर्थ पर 29 अप्रेल को आयोजित मेले में भरतपुर,अलवर,जयपुर,करौली,आगरा,मथुरा,फिरोजाबाद,टुण्डला,दिल्ली,मुम्बई,कलकत्ता,अहमदाबाद,अजमेर,कानपुर,लखनऊ,सवाईमाधोपुर,पलवल,नोएडा,गाजियाबाद,टोंक,कोटा,झालावाड,डीग आदि जिले सहित कस्वा खेडलीगंज, भिवाडी,वैर,बल्लभगढ,हिण्डोन,महवा,बयाना आदि स्थान के जैन समुदाय के लोग शामिल होंगे।

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