वट सावित्री व्रत 6 जून को
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) वट सावित्री व्रत को बेहद शुभ माना जाता है। व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि इस उपवास को रखने से परिवार के सदस्यों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
यह व्रत 6 जून को मनाया जाएगा।
सनातन धर्म में सभी त्योहार का अपना - अपना महत्व है। जिनमें से एक वट सावित्री व्रत भी है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दौरान मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाएं इस तिथि पर कठोर व्रत का पालन करती हैं, जिससे उन्हें सौभाग्यवती होने का वरदान मिल सके। वहीं, ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई सारी बातें बताई गई हैं, जिनका पालन बहुत जरूरी है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अपनी पूजा थाली में ऐसी चीजें हैं, उन्हें जरूर शामिल करना चाहिए।
शृंगार सामग्री है बेहद जरूरी
वट सावित्री व्रत के दिन जब पूजा करने जा रहे हैं, तो आपको अपनी पूजा थाली में शृंगार का सामान जरूर रखना चाहिए। क्योंकि यह व्रत पूर्ण रूप से महिलाओं के सुहाग से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि सुहागिनों को पहले खुद को सोलह शृंगार करना चाहिए। इसके पश्चात अपनी पूजा थाली में सोलह शृंगार का पूरा सामान रखना चाहिए, जिससे जीवन में शुभता और खुशहाली बनी रहे।
कच्चा सूत के बिना पूरी नहीं होती पूजा
वट सावित्री व्रत के दिन अपनी पूजा थाली में कच्चा सूत जरूर रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि कच्चा सूत यानी कच्चा धागा समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। साथ ही इसके बिना पूजा पूर्ण भी नहीं मानी जाती है। ऐसे में अपनी पूजा सामग्री में इसे जरूर शामिल करें। इसके उपयोग से जीवन में खुशहाली आती है।
- कमलेश जैन