ज्ञान और श्रद्धा का पावन पर्व गुरु पूर्णिमा हर्षोल्लास के साथ मनाया
लक्ष्मणगढ़ (अलवर/ कमलेश जैन) गुरु की महिमा अनंत और अपरंपार है। वे ज्ञान के प्रकाश स्तंभ होते हैं जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है और उनके बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव मानी गई है। आज गुरु पूर्णिमा पर्व गुरु के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने के लिए मनाया गया। गुरु’ शब्द का अर्थ है अज्ञान के अंधकार को दूर करने वाला। गुरु अपने ज्ञान से शिष्य को सही मार्ग पर ले जाते हैं ।और उनकी उन्नति में सहायक बनते हैं। लोक में सामान्यतः दो तरह के गुरु होते हैं। प्रथम तो शिक्षा गुरु और दूसरे दीक्षा गुरु। शिक्षा गुरु बालक को शिक्षित करते हैं और दीक्षा गुरु शिष्य के अंदर संचित विकारों को निकाल कर उसके जीवन को सत्यपथ की ओर अग्रसित करते है। प्रत्येक पूर्णिमा का अपना महत्व होता है। लेकिन गुरु पूर्णिमा पर आज की गई पूजा, उपवास व दान-पुण्य बहुत पुण्यदायी माने गए हैं।
उपखंड क्षेत्र मे आज विभिन्न धार्मिक स्थलों पर शिष्यों ने रायपुर शनि महाराज मंदिर में महंत श्री राजेंद्र गिरी महाराज एवं हरसाना हरि नारायण सरकार मंदिर में गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त किया। और उनकी दी गई शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लिया। लोग अपने अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेने के लिए विभिन्न धार्मिक स्थलों पर उनके पास पहुंचे और उनकी चरण वंदना कर उन्हें विभिन्न उपहार दिये । आज का दिन केवल शैक्षिक गुरुओं के लिए नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करने वाले सभी गुरुओं के प्रति समर्पित है। गुरु पूर्णिमा पर आज गुरु मंत्र शिष्यों द्वारा लिया गया। मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। विशेषरूप से गुरु पूर्णिमा पर गुरु को आदर और सम्मान देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।