पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई रुकवाने की मांग को लेकर वन्य एवं पर्यावरण मंत्री के नाम उप जिला कलक्टर को सौंपा ज्ञापन

Jul 25, 2024 - 18:57
Jul 25, 2024 - 18:57
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पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई रुकवाने की मांग को लेकर वन्य एवं पर्यावरण मंत्री के नाम उप जिला कलक्टर को सौंपा ज्ञापन

थानागाजी (अलवर) पेड़ों की अंधाधुंध कटाई रुकवाने कों लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्री राजस्थान सरकार को वन वनस्पति एवं वन्यजीव अभयारण्य बचाओ अभियान के संयोजक राम भरोस मीणा के सानिध्य में डूंगर सिंह मीणा उपकार संस्थान, अमित कुमार शर्मा समाज सेवी, कृष्णकांत शर्मा वृक्ष मित्र के संयुक्त तत्वावधान में ज्ञापन देकर बताया की बढ़ती जनसंख्या, परिवहन के साधनों में जीवाश्म ईंधन के अत्याधिक उपयोग, औद्यौगिक इकाईयों से निकलते धुएं, जगह-जगह फैलते प्लास्टिक के टुकडे व घरेलू कचरे तथा पेड़ों के हो रहे बेतहाशा कटान से एक तरफ़ श्वांस लेने योग्य शुद्ध हवा की कमी महसूस की जा रही है, वहीं बढ़ते प्रदूषण ने ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भयावह रूप अख्तियार कर चुकी है। दैनंदिन पीने के शुद्ध पानी की बढ़ती समस्या से स्थिति और विकराल हो गयी है। इससे आमजन का जीना दूभर हो गया है। बीते माह इसके जीते-जागते सबूत हैं। 

वर्तमान में कृषि भूमि, सवाईचक, गोचरान, नदी नालों के किनारों से हो रही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से सभी भली भाँति परिचित हैं। इस स्थिति को झुठलाया नहीं जा सकता। आये-दिन ट्रैक्टर-ट्रालियों और ट्रकों पर लगे कटे पेडो़ं के गठ्ठर आम देखे जा सकते हैं।आरा मशीनों पर पड़े हरे कटे पेड़ों के ढेरों से इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।  इस संदर्भ में मात्र अलवर जिले में ही औसतन 40 से 50 ट्रैक्टर रोजाना हरे कटे पेड़ों के लोड होते हैं, वहीं अकेले थानागाजी में ही इस वक्त 70 से 80 पेड़ प्रति दिन काटे जा रहे हैं । यदि पूरे राजस्थान की बात करें तो प्रति दिन लगभग पन्द्रह हजार पेड़ काटे जा रहे हैं। ये हालात पर्यावरण और पारिस्थितिकी के सर्वनाश के प्रतीक हैं। इस पर विचार किया जाना बेहद जरूरी है। 

पेड़ों की अत्यधिक कटाई व उनके अवैध व्यापार से जंगलों पर दिनों- दिन दबाव बढ़ता जा रहा है जिसके चलते वन सम्पदा नष्ट होने के कगार पर पहुंच चुकी है साथ ही राष्ट्रीय पार्कों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। मौजूदा हालात गवाह हैं कि अब जंगलों में विलायती बबूल के अलावा वन सम्पदा दिखाई नहीं देती है। दूसरी तरफ वन्य जीवों के आवास खत्म होते जाने से उनका जंगलों में रहना मुश्किल हो रहा है।  यहीं नहीं पेड़ों के कटान से वर्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका प्रमाण वर्तमान में थानागाजी, नारायणपुर में नेहड़ा और वाल क्षेत्र में  हुईं वर्षा का औसत है, जहां जंगल है वहीं वर्षा अधिक हुईं है और जहां जंगल साफ हो गये हैं वहां वर्षा कम हुयी है। आज अलवर जिले का अधिकांश इलाका डार्क जोन बन चुका है, वहीं ग्राउंड वाटर का दोहन भी सीमा पार कर गया है। भूजल के अत्याधिक दोहन से गिरता जलस्तर इसका सबसे बड़ा कारण है। 
इन्होंने  अनुरोध किया कि वर्तमान परिस्थितियों से निजात पाने के लिए सर्वाधिक वृक्षारोपण के साथ पेड़ों की कटाई को रोकना बेहद जरूरी है।  आगामी समय में उत्पन्न होने वाली भयानक स्थितियों से निपटने के लिए जंगलों को बढ़ावा देना होगा,  जिससे बड़ते तापघात, पर्यावरण प्रदूषण, आक्सीजन की कमी,गहराते जल संकट तथा बदलते पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सके। साथ ही आपदाओं से निपटने में भी सफलता मिल सके। अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि आप पेड़ों की कटाई पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित करने की  मांग की ।

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