क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज का त्यौहार
हरियाली तीज मुख्यत माता एवं बहनों का (स्त्रियों) का त्योहार है। जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया 7 अगस्त बुधवार को मनाया जाएगा। योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि लहलाती प्रकृति और प्रेम के रंगों को समेटे हरियाली तीज, अखंड सौभाग्य एवं परिवार की कुशलता के लिए किया जाने वाला व्रत है।
ज के दिन महिलाएं पति के लिए उपवास रखकर शिव-गौरी का पूजन-वंदन कर झूला झूलती है। और सुरीले स्वर में सावन के गीत-मल्हार गाती हैं। पूजा-अर्चना के साथ उल्लास-उमंग का यह त्योहार एक पारंपरिक उत्सव के रूप में जीवन में नए रंग भरता है। दांपत्य में प्रगाढ़ता लाता है साथ ही परिवार और समाज को स्नेह सूत्र में बांधता है।
शिव गौरी का मिलन उत्सव- मां पार्वती के शिव से पुनर्मिलन की स्मृति में यह त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों में वर्णन है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया,उससे प्रसन्न होकर शिव ने श्रावण शुक्ल तीज के दिन ही मां पार्वती को अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया। तभी से अखंड सौभाग्य का प्रतीक यह दिन पति-पत्नी के प्रेम को और मजबूत बनाने तथा आपस में श्रद्धा और विश्वास कायम रखने का पर्व बन गया।
परंपराएं - श्रावणी तीज प्रकृति के रंग में रचा-बसा त्योहार है। तीज के दिन हरी चूड़ियाँ,हरे वस्त्र पहनने,सोलह शृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है।महिलाएं बड़े-बड़े वृक्षों पर झूला डालकर सखियों संग झूलती हैं और शिव-पार्वती से सम्बंधित गीत गाती हैं। इस त्योहार पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नवविवाहित लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है। लोकमान्य परंपरा के अनुसार नव विवाहिता लड़की के ससुराल से इस त्योहार पर सिंजारा भेजा जाता है जिसमें वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी, घेवर-फैनी और मिठाई इत्यादि सामान भेजा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव और देवी पार्वती ने इस तिथि को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं,उनको सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- कमलेश जैन