जलझूलनी ग्यारस पर कराया ठाकुर जी को नगर भ्रमण
लक्ष्मणगढ़ (अलवर / कमलेश जैन ) हिंदू शास्त्रों के अनुसार श्रीविष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं। और भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन वे अपनी करवट बदलते हैं। एकादशी को पद्मा, परिवर्तिनी, वामन एकादशी या डोल ग्यारस के नाम से जाना जाता है। कस्बे के बाबा जी के बड़े मंदिर एवं कठूमर रोड स्थित मंदिर से शनिवार को जल झूलनी ग्यारस पर ठाकुर जी को कस्बे के मेंन बाजार होते हुए शहर भ्रमण, कराया गया। बांध की पाल स्थित मंदिर पर ठाकुर जी को स्नान कराया गया। स्नान, दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
इधर नगर पालिका क्षेत्र के मौजपुर के प्रमुख मंदिर से ठाकुर जी की पालकी निकाली गई ग्यारस पर भगवान भ्रमण पर निकलने के दौरान महिलाओं एवं बच्चों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। और सभी ठाकुर जी की पालकी के साथ नाचते गाते हुए चल रहे थे। इस मौके पर गणमान्य नागरिक भी मौजूद रहे।
मोहित जैन भाजपा युवा मोर्चा ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलने के समय प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं, इस अवधि में भक्तिभाव और विनयपूर्वक उनसे जो कुछ भी मांगा जाता है। वे अवश्य प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन माता यशोदा ने जलाशय पर जाकर श्रीकृष्ण के वस्त्र धोए थे,इसी कारण इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है।
शास्त्र कहता है कि इस दिन छाता,जूते, चावल, दही,जल से भरा कलश एवं चांदी का दान करना उत्तम फलदायी होता है। जो लोग किसी कारणवश एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं उन्हें एकादशी के दिन भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथा का पाठ करना चाहिए। विष्णु सहस्रनाम एवं रामायण का पाठ करना भी इस दिन उत्तम फलदायी माना गया है।