जिला स्तरीय कार्यशाला में खाद्य पोषण सुरक्षा व मिलेट्स के महत्व पर जोर

खैरथल (हीरालाल भूरानी ) खाद्य पोषण सुरक्षा और पौष्टिक अनाज (मिलेट्स) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि उपज मंडी समिति सभागार, खैरथल-तिजारा में एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का शुभारंभ जिला कलेक्टर किशोर कुमार ने किया। उन्होंने किसानों से जल संरक्षण करने और उर्वरक डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट व यूरिया का उपयोग करने की अपील की।
जिला कलेक्टर किशोर कुमार ने कहा कि मिलेट्स पोषण से भरपूर होते हैं और इनका उत्पादन कम पानी में भी संभव है। जिससे यह जलवायु परिवर्तन के दौर में एक महत्वपूर्ण फसल बन जाती है। सरकार मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। किसानों को चाहिए कि वे मिलेट्स की खेती अपनाएं और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर अपनी उपज को बढ़ाएं।
संयुक्त निदेशक, कृषि विज्ञान डॉ. राजेंद्र बसवाल ने बताया कि भारत सरकार ने 2023 को "मिलेट्स ईयर" के रूप में मनाया। मिलेट्स, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा "श्री अन्न" की उपाधि दी गई है, स्वास्थ्यवर्धक और पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थ हैं। इनमें ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, कंगनी, चेना, कुलथी, जंगोरा और रामदाना जैसे अनाज शामिल हैं। ये ग्लूटेन-फ्री सुपर फूड हैं, जो विटामिन, मिनरल्स, फाइबर, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होते हैं। मिलेट्स से वजन घटाने, ऊर्जा बढ़ाने और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
कार्यशाला में सेवानिवृत्त सहायक कृषि अधिकारी राजेंद्र यादव एवं शिशराम चौधरी ने जैविक खेती अपनाने, तारबंदी एवं फार्म पॉन्ड की उपयोगिता के बारे में किसानों को जागरूक किया। सहायक निदेशक, कृषि विज्ञान पवन यादव ने बताया कि मिलेट्स से रोटी, खिचड़ी, पुलाव, इडली, उपमा, डेसर्ट्स और सूप जैसी कई स्वादिष्ट व पोषक व्यंजन बनाए जा सकते हैं।
मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र, बानसूर और कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने जिले में मिलेट्स उत्पादन बढ़ाने की संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए। कार्यशाला में 100 से अधिक प्रगतिशील किसान, एनजीओ, एफपीओ, और मिलेट्स से जुड़े व्यापारी शामिल हुए। अंत में कार्यशाला सह-प्रभारी दिनेश चौधरी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।






