साथी घर जाकर मत कहना---- कारगिल विजय दिवस पर विशेष
उदयपुरवाटी,सुमेर सिंह राव(मंगल चंद सैनी पूर्व तहसीलदार)
कारगिल विजय की 24 वीं वर्षगांठ पर प्रत्येक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है, साथ ही इस विजय को हासिल करने में अपना बलिदान देने वाले भारत मां के वीर सपूतों को श्रद्धांजलि भी दी जा रही है।
कारगिल एक दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र है जो पाकिस्तान की तरफ ढलान वाला है जिस पर आसानी से पहुंचा जा सकता है और भारत की तरफ का क्षेत्र सीधा चढ़ाई वाला है जिस पर चढ़ाई करना आसान नहीं है। 3 मई 1999 को एक चरवाहे ने भारतीय सैनिकों को बताया कि कारगिल की चोटियों पर पाकिस्तानी सेना ने कब्जा कर लिया है उसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों व सेना को मुंहतोड़ जवाब देकर 26 जुलाई 1999 को कारगिल की चोटी पर भारतीय तिरंगा ध्वज पहराकर विजय का ऐलान किया। 2 माह तक चले इस युद्ध में 527 वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया व अनेक जख्मी हुए।शहीद होने वाले वीर सैनिक ने अपने साथी से क्या कहा
साथी घर जाकर मत कहना
हाल अगर मेरी मैया पूछे तो जलता दीप बुझा देना
हाल अगर मेरी बहना पूछे तो राखी तोड़ दिखा देना
हाल अगर मेरी बीवी पूछे तो माथे का सिंदूर मिटा देना।
ऐसे वीर सपूतों की शहादत को शत-शत नमन।