अधिशाषी अभियंता का वेतन से नहीं चलता गुजारा, बेवजह-जबरन चाहिए रिश्वत
यह किसी से नहीं छुपा है कि कोरोना महामारी में निजी क्षेत्र में काम करने वाले कामगार और व्यापारी वर्ग दुबारा से खड़े होने के लिए ईस्ट्रगल कर रहे है।कोरोना महामारी में किसी की नौकरी चली गई तो किसी का व्यापार चौपट हो गया लेकिन फिर भी सकारात्मक उम्मीद-सोच के साथ अपने काम, धंधे में लग गए।दूसरी तरफ सरकारी दफ्तर में ठाली बैठकर लगातार वेतन लेने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों का शायद वेतन से गुजारा नहीं चल रहा है। सरकारी दफ्तरों में सरेआम लूट मची हुई है। रामगढ़ रेलवे स्टेशन के अधिशाषी अभियंता रमेश को बिल पास करने की एवज में बेवजह एक प्रतिशत के हिसाब से कमीशन चाहिए। सनद रहे जो व्यक्ति पैसे की खातिर अपना ईमान बेच दे मानकर चलिए वह अधिकारी, कर्मचारी उस विभाग को भी दांव पर लगा सकता है। हालांकि रमेश सिंह को डेढ़ लाख की रिश्वत के साथ ही ACB ने पकड़ लिया ।आमजन की मानें तो रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत के साथ पकड़े जाने के साथ ही सेवामुक्त कर विभागों में छटनी शुरू कर देनी चाहिए। कमबख्त अदालत में न्याय की मूर्ति के अलग, बगल में ही अगली तारीख देने के नाम पर गड़बड़झाला होता हो, ऐसे में शायद ही कोई इस भ्र्ष्ट व्यवस्था को जड़ से समाप्त करने के खिलाफ खड़ा हो पाएगा।
- रिपोर्ट:- राजीव श्रीवास्तव