भरतपुर की स्टोन -क्रशिंग इकाइयां वृहद स्तर पर पौधरोपण एवं अपशिष्ट प्रबंधन कर प्रदूषण नियंत्रण में निभाएं भूमिका
जयपुर, 28 मई। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव श्री विजय एन ने कहा कि भरतपुर जिला अंतर्गत रूपवास एवं बयाना में स्टोन क्रशिंग का कार्य वृहद स्तर पर किया जाता है, जिस वजह से वहां का सामाजिक एवं आर्थिक विकास कहीं न कहीं स्टोन क्रशिंग इकाइयों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह क्षेत्र टीटीजेड(Taj Trapezium Zone) क्षेत्र के अंतर्गत आता है अतः यहाँ की खनन एवं क्रशिंग इकाइयों को केंद्रीय एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा निर्धारित नियमों की पालना सख्ती से करनी चाहिए।
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव श्री विजय एन मंगलवार को यहाँ आगामी 5 जून को आयोजित होने वाले विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित की जा रही सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन भरतपुर जिला अंतर्गत रूपवास एवं बयाना के स्टोन क्रशिंग इकाइयों से सम्बंधित हितधारकों को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रूपवास और बयाना स्टोन क्रशिंग इकाइयों का राज्य की खनन अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। इसी को मध्यनजर रखते हुए स्टोन क्रशिंग इकाई धारकों को अधिक से अधिक पौधारोपण कर, क्रशिंग क्षेत्र को कवर कर एवं बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन कर स्टोन क्रशिंग से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने का सतत प्रयास करना होगा। उन्होंने मौजूद स्टोन क्रशिंग इकाइयों से सम्बंधित हितधारकों से कहा कि स्टोन क्रशिंग से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए वे निर्धारित नियमों का सख्ती से पालन कर राज्य के आर्थिक एवं सामाजिक हित में अहम भूमिका निभाएं।
- स्टोन- क्रशिंग इकाइयों में बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन के साथ प्रदूषण नियंत्रण में भरतपुर को बनाये आदर्श जिला
सदस्य सचिव ने कहा कि भरतपुर खनन के क्षेत्र में हमेशा से ही प्रमुख क्षेत्र रहा है फिर वो चाहे वहां का गुलाबी पत्थर हो या सिलिका सैंड, ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि खनन एवं क्रशिंग से होने वाले अपशिष्ट का बेहतर प्रबंधन कर एवं प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्धारित मानकों का पालन कर हम ज़िले को प्रदूषण मुक्त बनाने के साथ प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में आदर्श जिला स्थापित करें, जिससे अन्य ज़िलों को भी प्रेरणा मिले।
-ताजमहल के आसपास के 10 हजार 400 वर्ग किमी के क्षेत्र टीटीजेड
इस दौरान अधीक्षण पर्यावरण अभियंता श्री विवेक गोयल ने पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से टीटीजेड के अंतर्गत आने वाले सभी स्टोन क्रशिंग इकाइयों की विस्तार से जानकारी प्रस्तुत करते हुए कहा कि टीटीजेड की अधिकतर स्टोन क्रशिंग इकाइयां भरतपुर जिला अंतर्गत रूपवास एवं बयाना क्षेत्र में आती है. उन्होंने बताया कि टीटीजेड को आगरा स्थित ताजमहल के आसपास के 10 हजार 400 वर्ग किमी के क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया है. ताजमहल प्रदूषण से सुरक्षित रहे इसके लिए विशेष नियम बनाये गए है जिनकी पालना उक्त संचालित स्टोन क्रशिंग इकाइयों को करनी होती है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) दिल्ली के प्रतिनिधि डॉ. एस के गोयल ने रूपवास् एवं बयाना में स्टोन क्रशिंग इकाइयों के लिए क्षेत्रीय दिशा- निर्देशों पर पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विस्तार से चर्चा कर बताया कि क्षेत्र में कई इकाइयां ऐसी है जिन्होंने न केवल प्रदूषण नियंत्रण बल्कि क्रशिंग अपशिष्ट के लिए बेहतर प्रबंधन किया हुआ है। उन्होंने कहा कि हमे प्रदूषण नियंत्रण के मुद्दे को एकजुटता के साथ सामाजिक हितों को ध्यान में रखते हुए समाधान की ओर बढ़ना होगा ताकि इस क्षेत्र में अन्य व्यवसायियों को भी क्रशिंग इकाइयां स्थापित करने का मौका मिल सके।
-पृथक जारी होंगे स्टोन क्रशिंग इकाइयों के लिए संशोधित क्षेत्रीय दिशा-निर्देश
उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं नीरी के संयुक्त तत्वाधान में स्टोन क्रशिंग इकाइयों का अध्ययन किया जाएगा जिसके तहत उक्त इकाइयों के लिए प्रदूषण नियंत्रण हेतु संचालन एवं स्थापित करने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे। कार्यशाला के दौरान उक्त दिशा-निर्देशों को जारी करने से पहले हितधारकों के साथ विस्तार से चर्चा की गयी। कार्यशाला के दुसरे सत्र के दौरान स्टोन क्रशरों के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा प्रस्तावित दिशानिर्देशों का अवलोकन एवं स्टोन क्रशिंग इकाइयों में पर्यावरणीय उपायों को लेकर विस्तार से चर्चा की गयी।
इस दौरान हितधारकों से स्टोन क्रशिंग इकाइयों के संचालन में आ रही समस्याओं एवं उनके समाधानों पर भी विस्तार से चर्चा की गयी। इस मौके पर हितधारकों ने कहा कि मंडल ने विश्व पर्यावरण दिवस पर उन्हें इस प्रकार का मौका दिया जो की स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम है। उन्होंने कहा कि यदि इसी प्रकार मंडल द्वारा हितधारकों की समस्याओं को प्राथमिकता देकर प्रदूषण नियंत्रण की ओर कार्य किया जाता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब राज्य प्रदूषण मुक्त राज्यों की श्रेणी में शामिल होगा।
गया। कार्यशाला के दौरान मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों सहित क्षेत्रीय अधिकारी मौजूद रहे।