वीरांगना रूप कुंवारी जन सांस्कृतिक मंच द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन
रूपबास (कोश्लेंद्र दतात्रेय)
वीरांगना रूप कुंवारी जन सांस्कृतिक मंच द्वारा शिक्षाविद एवं शिक्षक नेता हरिशंकर शर्मा के मुख्य अतिथि एवं देवेंद्र गौड़ पूर्व अध्यक्ष ब्राह्मण समाज की अध्यक्षता तथा रविंद्र बंसल डब्बू, राधेश्याम दाहिना, ओमप्रकाश परमार, गोपेश शर्मा विशिष्ट अतिथियों के सानिध्य में स्थानीय चंदू शाह धर्मशाला के सभागार में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। कवि द्वारकाधीश विरही द्वारा सरस्वती वंदना मां शारदे ज्ञान की देवी हमें ऐसा वरदान दे से हुआ।
बालकवि कौशल शर्मा ने कविता में राजस्थान राज्य में बसे भरतपुर धाम, संजय हिंदुस्तानी ने कहा कि मेरे जन्म पर जितनी खुशी मिली वो पिता है। कविता के माध्यम से पिता का गुणगान किया। कभी हेमेंद्र परमार मनु ने संविधान है अपने ही पहरेदारों से तथा कवि गोविंद सिंह परमार ने वर्तमान सामाजिक हालातो का जिक्र कर कहा कि मुझको वृद्ध आश्रम में क्यों छोड़ रहा तथा वरिष्ठ कवि गीतम सिंह परमार ने गजल के माध्यम से कहा कि हालत भी एक मोड़ पर मजबूर हो गए कितना करीब थे कि बे भी दूर हो गए। आनंद प्रकाश आनंद ने फिर से चुनाव आया। मंच के संयोजक कवि ज्ञानी राम अज्ञानी ने कहा कि यारों यहां ये महल बन रहे हैं कमाल के, मनोज खंन्डूजा ने कहा कि अरुणाचल से चमक उठे जयद्रथ वध हेतु द्वारकाधीश विरही ने सुन ले पुकार मोहि तेरी दरबार सुन कर श्रोताओं से तालियां बजबाई।
मुख्य अतिथि शिक्षाविद हरिशंकर शर्मा अटल ने निर्माणों के पावन युग मे, हम चरित्र निर्माण न भूले, स्वार्थ साधना की आंधी में, वसुधा का कल्याण न भूलें,माना अगम अगाध सिन्धु है ,संघर्षों का पार नहीं है, किन्तु डूबना मझधारो में,साहस को स्वीकार नहीं है, जटिल समस्या सुलझाने को, नूतन अनुसंधान न भूलें,स्वार्थ साधना की आंधी में, वसुधा का कल्याण न भूलें गाकर वीर रस, श्रृंगार रस सहित सभी कवियों का आभार व्यक्त किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में देवेंद्र गौड़ तथा ज्ञानी राम अज्ञानी ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन कवि गीतम सिंह परमार ने किया।