मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ से लौट रहे निस्क्रमनीय भेड़पालको को सहयोग की मांग
सिरोही (रमेश सुथार)
मारवाड़ -गोडवाड क्षेत्र से प्रतिवर्ष हजारो पशुपालक परिवार अपनी भेड़-बकरियों को चराने के लिए निष्क्रमण कर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र व गुजरात प्रदेश की ओर जाते है जो बारिश के समय लौट कर राजस्थान आते है। प्रवासी पशुपलक संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समय जून -जुलाई माह में 10 हजार भेड़पालको का समूह अपनी दौ से तीन लाख भेड़-बकरिया ले कर राजस्थान के सीमावर्ती मध्यप्रदेश के जिले होसंगाबाद, भोपाल,इंदौर,उज्जैन,धार,झाबुआ नरसिंगपुर,रायसेन में से पशुओं को चराई करवाते हुए राजस्थान की ओर बढ़ रहे है।
भाजपा नेता पशुपालक बोर्ड के पूर्व सदस्य नारायण देवासी के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार की चरवाहा नीति में प्रवासी पशुपालकों को चराई की अनुमति नही होने तथा वन अधिनियम में शक्त प्रावधानों की पालना की असमर्थता के चलते लौट रहे पशुपालको के सामने संकट गहराया है। देवासी ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में पशुओं को ले कर सैकड़ो किलोमीटर दूरी पार कर अपने वतन तक पंहुचना पशुपालकों के लिए जटिल व चुनोती का प्रवास रहता है। संघर्षशील पशुपालकों को सहयोग के लिए नारायण देवासी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि वे मध्यप्रदेश सरकार से वार्ता कर राजस्थान लौट रहे निस्क्रमनीय भेड़पालको को सुरक्षा प्रदान कराने व चराई की वैकल्पिक व्यवस्था कर वन क्षेत्र में पशुचराई के लिए अनुमति प्रदान करावे। पत्र में यह भी मांग की गई है कि भेड़पालक जो राजस्थान के डांग क्षेत्र,कोटा,झालावाड़,बांरा,बूंदी,चित्तौड़,भीलवाड़ा बांसवाडा, प्रतापगढ़,डूंगरपुर में जिला स्तरीय प्रशासनिक मीटिंग कर पूर्व में बने निस्क्रमनीय मार्गो पर,पशुपालकों को सुरक्षा प्रदान करने,मानसून में पशुओं को मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए दवाइया वितरित करने,बारिस में चरवाहों के बचाव के लिए तिरपाल व खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने व पशुओं में बीमारी रोकथाम के लिए टीकाकरण भी करवाए।