बाल्मीकि समाज ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया, लागू कराने की मांग की
जहाजपुर (आज़ाद नेब) सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए उसे लागू करने की मांग को लेकर नवयुवक मंडल बाल्मीकि समाज ने आज गुरूवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम उपखंड अधिकारी सुरेंद्र बी पाटीदार को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में बताया गया कि राजस्थान में राजनितिक, सामाजिक आर्थिक एवं प्रशासनिक हर दृष्टि से कमजोर वाल्मीकि/मेहतर, सांसी, कंजर, नट, ढोली, बाजीगर सपेरा, मदारी, कालबेलिया, बावरी, भांड, धानक, कामड व अन्य (जिसे राज्य सरकार सर्वे के बाद इसके लिए उपयुक्त समझे) आदि वे अति पिछड़ी हुई जातियां है, जिनके साथ अधिकतर छुआछूत, जातीय उत्पीड़न, मारपीट, हत्या, बलात्कार आदि की घटनाएं होती रहती है। इनका सर्वे करवाकर इनको सम्मिलित रूप से SC के कुल आरक्षण में से 50 प्रतिशत आरक्षण दे और शेष बचे 50 प्रतिशत आरक्षण में, (क्रीमीलेयर के रूप में चिन्हित शेष SC की उप-जातियों एवं उप वर्गीकरण में चयनित वंचित उप-जातियों), दोनों को, इस शेष बचे 50 प्रतिशत आरक्षण में (सम्पूर्ण SC जातियों) के लिए समान अवसर रखे।
साथ ही, उप वर्गीकृत उप-जातियों के लिए आरक्षित किसी पद पर यदि उम्मीदवार ना हो तो नियमानुसार निर्धारित अवधि तक केरी फॉरवर्ड करने के बाद, SC में से उप वर्गीकरण में शेष रही SC केटेगरी से ही उन पदों को भरा जाए। SC की कुछ जातियों का आरक्षण में तो उप वर्गीकरण करे, किन्तु शेष जातियों को क्रीमीलेयर बताकर उन्हें इस वर्ग से बाहर नहीं करे बल्कि उन्हें उसी वर्ग में रखते हुवे, उप वर्गीकृत जातियों की खाली सीटो का एक निर्धारित समय सीमा के बाद लाभ, इन्हें मिलना चाहिए और किसी भी स्थिति में वे सीटे सामान्य वर्ग को हस्तांतरित नहीं होनी चाहिए।
SC जाति वर्ग में कई उपजातियां है, जिनका जीवन यापन, पद्वति अलग अलग है और ना ही उनमें आपसी वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित नहीं होते है, अर्थार्त उनके बीच रोटी बेटी का व्यवहार नहीं है, इसलिए उन्हें समरूप नहीं कहा जा सकता। सी.जे.आई. डी.वाई. चंद्रचूड़ द्वारा भी अनुसूचित जातियों को एक समरूप वर्ग नहीं माना है। संविधान के अनुच्छेद 16 (4) व अनुच्छेद 46 राज्य सरकार को इन जातियों के पिछड़ेपन का उन्मूलन करने के लिए विशेष शक्तियां प्रदान करता है। अनुच्छेद 341 (1) में वर्णित किया गया है कि राष्ट्रपति, राज्य या संघ शासित किसी राज्य के राज्यपाल से विचार विमर्श करके लोक अधिसूचना जारी कर अनुसूचित जातियों की सूचि जारी कर सकते है। इस दौरान जीवन राम घारू, ब्रिजेश घारू, पंकज घारू, हेमराज घारू, ओम प्रकाश घारू, रवि कुमार घारू, दुर्गा लाल घारू, नीरज घारू, अजय घारू किशन घारू, बबलू घारू, अमित कुमार, कमलेश कुमार, प्रमोद कुमार, नगजीराम प्रकाश चन्द्र, विनोद घारू मौजूद थे।