पिछले 20 दिनों से टापू बना कपरौली गांव: प्रशासन से करी नांव की मांग
भरतपुर में पिछले 20 दिनों से टापू बने कपरौली गांव का जनजीवन अस्तव्यस्त होने के साथ अब गाव लगभग डूबने की स्थिति में जा पहुचा है। अजान बांध के बीचो बीच बसे इस गाव के चारो तरफ भरे 7-8 फुट पानी के जलस्तर में बढ़ोतरी के बाद पानी अब घरो में प्रवेश करने लगा है। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क के लिए गंभीर नदी से छोड़ा जा रहा पानी अजान बांध के रास्ते ही पार्क तक पहुच रहा है ऐसे में बाँध के बीच बसे कपरोली गाव के लिए भीषण संकट खड़ा हो गया है। हालात इतने गम्भीर है कि गांव से कोई व्यक्ति न तो बाहर जा पा रहा और न ही अंदर। गांव के बच्चे भी स्कूल नही जा पा रहे। मरीजों को मिलने बाली चिकित्सा भी ठप्प हो गई है और उन्हें अस्पताल या डॉक्टर के पास ले जाने की कोई राह तक नही है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के चारों तरफ जब भी जल भराव की यह स्थिति आती है तब सिंचाई विभाग ग्रामीणों को गांव से आने जाने के लिए नाबो की व्यवस्था करता रहा है लेकिन इस बार सिंचाई विभाग की तरफ से कोई नाव नहीं दी गई है जिससे लोगो को परेशानी उठानी पड़ रही है।
ग्रामीणों द्वारा जारी किए गए ज्ञापन में कहा गया है की गाँव कपरौली के अजान बन्ध में होने के कारण सन् 1972 से जब जब अजान बन्ध भरा तब तब गाँव कपरौली को सिंचाई विभाग भरतपुर द्वारा नाव दी जाती थी। गाँव से भरतपुर शहर तक का रास्ता नाव द्वारा ही पार किया जाता रहा। हमारे गाँव में जो सड़क डली हुई है वह 7 फीट पानी में डूब चुकी है। सड़क पर दो से तीन फुट पानी भर चुका है। सड़क के बगलों में जेसीबी मशीन से सड़क डालने पर सड़क की बगलों में 12-13 फीट गड्डे है उनमें गिर जाने से या पैर फिसलने से कोई जनहानि हो सकती है। हमने प्रशासन को 15 दिन पहले मामले से अवगत कराया था की गाँव के लिए नाव दिलायी जावें। लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा नाव का नहीं किया गया है। जिसके कारण हमारे खाने का सामान व बीमार व्यक्तियों की दवाई व बच्चों की पढ़ाई व जीवन की मूलभूत सुविधाए अस्त व्यस्त हो गई है। गाँव कपरौली भरतपुर शहर से पूर्ण रूप से वंछित हो चुका है। हमारे गाँव की सड़क को 3 फीट और ऊँचा किया जाये, सड़क पर डाबर के बजाए सीमेंट आरसीसी व पिचिंग खण्डों की करवायी जावें व गाँव में भीतर खरंजा भी करवाया जावें। नाव की हमारे गाँव को अति आवश्यकता है। हमारे गाँव कपरौली को नाव दिलाई जाए।
- कौशलेन्द्र दत्तात्रेय