रबी में डीएपी के बजाय एसएसपी-यूरिया या एनपीके उर्वरक अधिक लाभकारी
कृषि विभाग ने जारी की एडवायजरी, कहा-किसान नकली डीएपी से रहें सावधान
कोटपूतली-बहरोड़, 10 अक्टूबर। (भारत कुमार शर्मा)
रबी फसलों में सरसों, चना, तारामीरा की बुवाई के समय को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को नकली डीएपी से सावधान रखने के संबंध में एडवायजरी जारी की है। संयुक्त निदेशक कृषि (वि०) कोटपूतली-बहरोड़ महेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि वर्तमान में तापमान बुवाई के लिए उपयुक्त नहीं है। कुछ दिनों में औसत तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस तक आ जायेगा। वह तापमान व समय सरसों व चना की बुवाई के लिए सर्वाधिक उपयुक्त रहता है। बुवाई के समय किसान डीएपी खाद का बुवाई से पहले उपयोग करते हैं। क्रय-विक्रय सहकारी समितियों, ग्राम सेवा सहकारी समितियों व अधिकृत उर्वरक विक्रेताओं द्वारा गुणवत्तायुक्त उर्वरकों की उपलब्धता करवाई जा रही है। सरसों, चना व तारामीरा की फसलों में डीएपी के बजाय सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरकों का उपयोग अधिक फायदेमंद एवं लागत में कमी लाता है। इसलिए किसानों को सलाह दी जा रही है कि 50 किलोग्राम के एक बैग डीएपी के बजाय तीन बैग सिंगल सुपर फास्फेट एवं आधा बैग यूरिया को मिलाकर बुवाई से पहले उपयोग करें। इससे फसलों को फॉस्फोरस व नत्रजन के साथ ही सल्फर की आवश्यक मात्रा की आपूर्ति हो जाती है।
बिना लाईसेन्स उर्वरकों का विक्रय उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत दण्डनीय अपराध है। किसानों को उर्वरक क्रय करते समय सावधान रहने की आवश्यकता है। कोई भी व्यक्ति आपके आंव में आकर अनाधिकृत रूप से उर्वरकों का विक्रय करता है तो उसके नकली उर्वरक होने की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। ऐसे व्यक्तियों से सावधान रहें और ऐसी स्थिति सामने आने पर इसकी जानकारी तत्काल अपने कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी, सहायक निदेशक, कृषि अथवा संयुक्त निदेशक कृषि (वि०), जिला परिषद् कोटपूतली-बहरोड़ को दें। उन्होंने बताया कि डीएपी के प्रति किसानों के अत्यधिक लगाव का फायदा घटिया उर्वरक विक्रय करने वाले उठाने का प्रयास करते है। उन्होंने सभी किसानों से अनुरोध किया है कि रबी की सभी फसलों में प्रथम तो डीएपी के बजाय सिंगल सुपर फास्फेट यूरिया अथवा एनपीके का उपयोग करे जो कि सस्ते और अधिक लाभकारी होने के साथ आसानी से उपलब्ध है।