रावण दहन कार्यक्रम में बाल शोषण और सामाजिक बुराइयों के अंत का दिया संदेश
थानागाजी ( रितीक शर्मा) विजयदशमी के अवसर पर अजबगढ़ और खोह दरीबा में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा बड़े धूमधाम से रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ जन-जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण संदेश दिया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य केवल रावण के पुतले का दहन करना नहीं, बल्कि बाल शोषण, बाल तस्करी और अन्य सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का आह्वान करना था।
संवाददाता रितीक शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत शाम को हुई, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, गणमान्य व्यक्ति, सरपंच, वार्ड पंच और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम में बाल मित्र ग्राम की पहल के तहत बाल पंचायत के सदस्यों ने रावण के 10 सिरों पर सामाजिक बुराइयों का प्रतीकात्मक रूप से उल्लेख किया, जिनमें प्रमुख रूप से बाल शोषण, बाल तस्करी, अशिक्षा और गरीबी शामिल थीं। कार्यक्रम स्थल पर बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाएँ और बच्चे एकत्रित होकर कार्यक्रम का हिस्सा बनते नजर आ रहे हैं। रावण के विशाल पुतले पर , अशिक्षा और ‘बाल तस्करी’ जैसी बुराइयों का प्रतीक अंकित किया गया। जैसे ही अंधेरा हुआ रावण के पुतले को आग लगाई गई, जो समाज से बुराइयों को समाप्त करने का प्रतीक था। बाल सरपंच और बाल पंचायत के सदस्यों ने मिलकर रावण को जलाया और इस मौके पर उपस्थित सभी ने संकल्प लिया कि वे अपने क्षेत्र में इन बुराइयों को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने मोबाइल के जरिए इस ऐतिहासिक पल को कैद किया और वातावरण में उत्साह और सामाजिक जागरूकता का भाव देखा गया। इस अवसर पर बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने वाले समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी जी के योगदान की भी सराहना की गई। सत्यार्थी जी द्वारा शुरू किया गया बचपन बचाओ आंदोलन और बाल मित्र ग्राम पहल ने बाल तस्करी और बाल मजदूरी जैसी बुराइयों के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई लड़ी है। उनके प्रयासों से आज हज़ारों बच्चे सुरक्षित और शिक्षित हो रहे हैं। इस कार्यक्रम का मुख्य संदेश यही था कि रावण के साथ-साथ समाज में व्याप्त बाल शोषण और अन्य बुराइयों का भी अंत हो और हर बच्चा एक सुरक्षित और सशक्त समाज में जीवन जी सके।