जाग उठे देव, बज रही है शहनाइयां
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु चार माह के लंबे समय के बाद योग निद्रा से जागते हैं। आज मंगलवार से मांगलिक कार्य शुरू हो गए हैं। सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार माह के शयन के रूप में आज ही के दिन जागते हैं जिसे पूरे भारत में देव उठनी को ब्रह्माण्ड के रूप में मनाया जाता है।
घर में महिलाओं ने सांयकाल में तुलसी की पूजा की और लाल चुनरी ओढ़ाई, दीपक कर पूजा अर्चना की।
शहर में निकासी बैंड बाजे की धूम विवाह उत्सव में दिखाई दिये। विवाह शादी कार्यक्रमो में राजनीति समाजिक उधोगपति, पत्रकार सहित कई लोगों ने नवदंपति जोड़ों को आशीर्वाद दिया।
देवउठनी एकादशी पर महिलाओं और पुरुषों ने सुबह ब्रह्ममुर्हूत में स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सूर्य को अध्र्य व्रत का संकल्प लिया, जहां भगवान विष्णु के बेल पत्र, समी पत्र और तुलसी कथाएं ली गईं। चार माह बाद दीपावली के साथ ही मंगलवार को देवउठनी एकादशी पर शहर एवं उपखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में शहनाइयों की गूंज सुनाई दी। विवाह के आयोजन में कहीं कोई कोर कसर बाकी न रहे इसके लिए सोमवार को बाजार में कपड़ा, सराफा, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स समेत सब्जी और फल की भी खरीदारी लोगों ने की। अलग-अलग समाज के हुए विवाह शादियों के चलते बाजार में भारी भीड़ उमड़ी, एवं दिनभर यातायात के साधनों की रोड पर कतारे बनी रही।
- कमलेश जैन